हाइलाइट्स
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रणजीत हनुमान मंदिर पर नहीं लगेगा इनकम टैक्स।
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चढ़ावे पर निकाली थी वसूली।
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केस जीते रणजीत सरकार।
Indore News: इंदौर से एक बड़ा ही दिलचस्प मामला सामने आया है। यहां एक हनुमान मंदिर पर इनकम टैक्स विभाग ने ढाई करोड़ के चढ़ावे पर टैक्स डिमांड निकाल दी थी। जिसके खिलाफ मंदिर प्रशासन ने कमिश्नर के पास अपील की थी। 8 फरवरी गुरुवार को इस मामले की अंतिम सुनवाई में फैसला आया। जो कि मंदिर प्रशासन के पक्ष में रहा। इनकम टैक्स विभाग को अपने दावे को छोड़ना पड़ा।
आपको बता दें, कि ये पूरा मामला इंदौर शहर (Indore News) के रणजीत हनुमान मंदिर का है। मंदिर के प्रशासक कलेक्टर हैं। साल 2016 में यानी कि 8 साल पहले नोटबंदी के दौरान मंदिर ने अपना चढ़ावा गिना। इसके बाद तत्काल बैंक खाते में जमा करा दिया। चढ़ावे की राशि करीब ढाई करोड़ रुपए जमा हुई थी।
इतनी बड़ी रकम एक साथ जमा होने पर जब इस चढ़ोत्तरी की राशइ पर आयकर विभाग की नजर पड़ी तो उसने मंदिर मैनेजमेंट को नोटिस भेज दिया। नोटिस में पूछा कि यह रकम कहां से आई? मंदिर प्रशासन की तरफ से सवाल का जवाब मिला- भक्तों के दान और चढ़ावे से मिली।
इसके बाद आयकर विभाग ने अगला सवाल पूछा, कि आपका मंदिर न ही चेरिटेबल ट्रस्ट सोसायटी पंजीयन है। न ही इनकम टैक्स की धारा 12-A और 80-G के तहत रजिस्टर्ड है। तो इनकम टैक्स में छूट कैसे? इस आधार पर आंकलन कर आयकर विभाग ने मंदिर मैनेजमेंट को साढ़े 3 करोड़ रुपए जमा कराने के लिए कहा।
लंबे समय तक चली सुनवाई
नोटिस के बाद अपील में सुनवाई हुई। आयकर विभाग पहली बार उनके तर्कों और तथ्यों से सहमत नहीं था। वह अपने साढ़े 3 करोड़ रुपए के डिमांड नोट को सही बताता रहा। इसकी सुनवाई लंबे समय तक चली।
सुनवाई के दौरान काम आया नोटिफिकेशन
इस मामले में कमिश्नर अपील के सामने पहले मंदिर प्रबंधन (Indore News) की तरफ से अपील कर वसूली पर स्टे लिया गया। इसके बाद सुनवाई 4 साल तक चली। जब फाइनल सुनवाई हुई तो, मंदिर प्रबंधन की तरफ से केंद्र सरकार के एक नोटिफिकेशन का हवाला दिया गया। जिसमें बताया गया, कि इस नियम में इंदौर शहर के कई अन्य रजिस्टर्ड मंदिर, मठ, गुरुद्वारे इसके तहत टैक्स से छूट के पात्र हैं।
इसके साथ यह भी बताया, कि यह मंदिर की राशि सरकार की राशि है। कलेक्टर मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष होता है, सारे वित्तीय काम लीगल होते हैं। सुनवाई के बाद इनकम टेक्स विभाग ने जो 3.5 करोड़ रु. की डिमांड की थी वह खारिज कर दी गई।