भोपाल। मध्य प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में लगातार बारिश हो रही है। बारिश के साथ गरज और बिजली गिरने की घटनाएं आम हैं। हालांकि इस प्राकृतिक आपदा से कई लोग मारे भी जाते हैं। आकाशीय बिजली इतनी शक्तिशाली होती है कि किसी भी व्यक्ति पर गिरती है तो उसे पलक झपकने का मौका तक नहीं देती है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि इस बिजली की क्षमता क्या है? जो लोगों को हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देती है।
इतने वोल्ट की होती है आकाशीय बिजली
मालूम हो कि भारत में ट्रेन के परिचालन के लिए 25 हजार वोल्ट की बिजली का इस्तेमाल होता है। कोई व्यक्ति अगर इसकी चपेट में आ जाता है तो कुछ ही पल में जलकर राख हो जाता है। ऐसे में आप सोच सकते हैं कि आकाशीय बिजली कितनी शक्तिशाली होती होगी। अमेरिकी सरकार की वेबसाइट weather.gov को अनुसार आकाशीय बिजली की क्षमता करीब 30 करोड़ वोल्ट और 30 हजार एम्पीयर होती है। जबकि हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाली बिजली की क्षमता 120 वोल्ट और 15 एम्पीयर की होती है। ऐसे में आप आकाशीय बिजली की भयावहता का अंदाजा लगा सकते हैं।
अगर ट्रेन में बिजली गिर जाए तो क्या होगा?
आकाशीय बिजली को लेकर एक और सवाल आम है कि अगर चलती ट्रेन पर बिजली गिर जाए तो क्या होगा?। गौरतलब है कि भारतीय रेलवे की सेवाएं किसी भी मौसम में नहीं रूकती हैं। हालांकि, स्थिति यदि बद से बदतर हो जाए तो कुछ ट्रेनों को रद्द किया जाता है। या उसके रूट में बदलाव किया जाता है। बारिश में भी ट्रेन नहीं रुकती। ऐसे में कई बार ट्रेन को उन इलाकों से गुजरना पड़ता है जहां बिजली गिर रही है। ऐसे में बिजली ट्रेनों के ऊपर गिरती भी होगी लेकिन उसमें बैठे यात्रियों को कभी करंट नहीं लगता।
इस वजह से कुछ नहीं होता
दरअसल, ट्रेन की बाहरी बॉडी पूरी तरह से धातु की बनी होती है। लेकिन आंतरिक बॉडी को सिर्फ धातु से नहीं बनाया जाता। ऐसे में अगर चलती ट्रेन पर बिजली गिर भी जाए तो वह ट्रेन की बाहरी बॉडी से होते हुए पटरियों में और फिर पटरियों के होते हुए अर्थिंग डिवाइस के रास्ते ग्राउंड हो जाएगा। बता दें कि रेलवे, ट्रैक पर कुछ-कुछ दूरी पर अर्थिंग डिवाइस लगाता है। ये डिवाइस इसी तरह से आपदा से बचाने के लिए लागाए जाते हैं।
गौर करने वाली बात
यहां गौर करने वाली बात ये है कि बिजली अपने प्रवाह के लिए हमेशा सुगम और छोटा रास्ता चुनती है। ट्रेन का बाहरी हिस्सा लोहे या स्टील से बना होता है, जो बिजली के प्रवाह के लिए सुगम रास्ता होता है। इसलिए यदि चलती ट्रेन के ऊपर बिजली गिर भी जाए तो वह अपना सुगम और सबसे छोटा रास्ता चुनते हुए धातु के डिब्बे से पटरियों और फिर अर्थिंग डिवाइस के होते हुए ग्राउंड हो जाती है। और ट्रेन के अंदर बैठे यात्री सकुशल यात्रा करते रहते हैं।