MSME News: केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई (MSME) उद्यमियों के भुगतान के लिए बड़ी राहत दी है।
इसके तहत अगर 45 दिनों के अंदर एमएसएमई (MSME) उद्यमियों का भुगतान नहीं होता तो, भुगतान की राशि खरीदारी के आय में जुड़ जाएगी।
30 प्रतिशत का टैक्स भी देना पड़ सकता है। क्या है इसका मतलब? समझिए आसान भाषा में
क्या है एमएसएमई
एमएसएमई (MSME) का मतलब है, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यानी छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय। इस सेक्टर का भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम योगदान है। यही वजह है कि एमएसएमई (MSME) को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी कहा जाता है।
ये सेक्टर रोजगार के अवसर पैदा करता है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी इसकी अहम भूमिका है। फिलहाल आप भारत में करीब 6.3 करोड़ MSME हैं।
कौन आते हैं एमएसएमई (MSME) के अंदर?
एमएसएमई (MSME) के अंदर तीन कैटेगरी आती हैं। पहली कैटेगरी में वो लोग आते हैं। जो 1 करोड़ रुपये से अधिक नहीं कमाते जिनका वार्षिक कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
दूसरी कैटेगरी में आने वाले लोग संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं कर सकते हैं और वार्षिक कारोबार 50 करोड़ से अधिक का नहीं होता।
तीसरी कैटेगरी में वे लोग आते हैं जिनका संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और वार्षिक कारोबार, 250 करोड़ तक का होना चाहिए।
क्या है नई योजना ?
एमएसएमई (MSME) ने एक नया नियम शुरू किया है। ये नियम एक अप्रैल से लागू हो रहा है और इसके अनुसार अगर 31 मार्च तक एमएसएमई (MSME) का भुगतान नहीं हुआ तो खरीदारी की रकम आय में जोड़ दी जाएगी।
जानकारों का कहना है कि ऐसा नियम इसलिए लाया गया है ताकि भुगतान के लिए छोटी कंपनियों या छोटे कारोबारी को भटकना न पड़े।
मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पिछले वर्ष एक फरवरी को पेस बजट में एमएसएमई की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की समस्या को दूर करने के लिए 45 दिनों के भीतर खरीदारी के भुगतान को अनिवार्य करने का नियम लाया गया था।आय में जुड़ेगी रकम लेकिन वापस भी मिल जाएगी।
बताया जा रहा है कि भले ही भुगतान 45 दिन में न करने पर खरीदार के बैलेंस शीट में आय के रूप में यदर्ज हो जाएगी और उसे टैक्स बी देना पड़ेगा। लेकिन, बाद में उस खरीदारी की रकम का भुगतान करने पर खरीदारी अगले साल सरकार से टैक्स की रकम रिफंड के रूप में वापस ले सकता है।
90 दिन की मोहलत चाहते है
बताया जा रहा है कि एमएसएमई इस नियम में तोथा बदलाव चाहते है, विशेषकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े एमएसएमई भुगतान नियम में 45 दिन की जगह 90 दिन चाहते है। इसके साथ ही कैट द्वारा भी इस संबंध में मांग की गई थी कि वह इस नियम को अप्रैल 2024 से लागू न कर अप्रैल 2025 से करें।
निर्माता का एमएसएमई (MSME) सेक्टर में रजिस्टर्ड होना जरूरी
जानकारों का कहना है कि इसमें शर्त यह है कि कोई भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई एमएसएमई रजिस्टर्ड होना चाहिए। एमएसएमई (MSME) उद्योग रजिस्टर्ड है तो ही उसे इसका फायदा मिलेगा। छोटी ईकाईयों के लिए ये बड़ा लाभदायक है।
विवाद है तो यह नियम
भुगतान में अगर किसी भी प्रकार से कोई विवाद है तो उस स्थिति में 45दिनों के अंदर भुगतान करना आवश्यकता नहीं है। लेकिन जैसे ही विवाद का निपटारा हो जाता है,उस दिन से लेकर 45 दिनों के अंदर भुगतान करना होगा।
छोटी कंपनियों को समय पर होगा भुगतान
चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन तारवानी का कहना है कि इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बड़ी कंपनियां अब छोटी कंपनियों का भुगतान नहीं रोकेंगी। अब तक ऐसा होता था कि बड़ी कंपनियां महीनों तक भुगतान रोक देती थी।
इसका लाभ एमएसएमई की उन्हीं कंपनियों को मिलेगा,जो रजिस्टर्ड होंगी।
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इसके लिए ईकाई मालिक बिल पर अपना एमएसएमई नंबर भी डालना शुरू कर सकते है। उन्होंने कहा कि छोटे उद्यमियों के लिए यह नियम काफी फायदेमंद है।