इमरती देवी ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना गुरु क्यों मानती हैं, जानिए इसके पीछे की वजह

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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में चर्चाओं में रहने वाली इमरती देवी (Imarti Devi) आजकल लाइमलाईट से दूर हैं। उपचुनाव हारने के बाद मानों वों मीडिया से गायब ही हो गई है। उनका इस तरह से गायब हो जाना लोगों को राश नहीं आ रहा है। ऐसे में आज हम आपको उनके राजनीतिक सफर के बारे में बताएंगे कि कैसे वो राजनीति में आईं और उन्हें इस दौरान किनका साथ मिला।
इमरती देवी का जन्म 14 अप्रैल 1975 को जिला दतिया के ग्राम चरबरा में हुआ था। उन्होंने हायर सेकेंड्री तक शिक्षा ग्रहण किया है। इमरती देवी उन नेताओं में से हैं जिन्होंने राजनीति की शुरूआत काफी नीचे से किया है। लेकिन उन्हें बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का साथ मिला और वो राज्य की मंत्री तक बनीं। गौरतलब है कि इमरती देवी जब गुना जिला पंचायत की सदस्य थीं। तब ज्योतिरादित्य संधिया अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए गुना पहुंचे थे। उस दौरान मोहन सिंह राठौर गुणा में ग्रामीण कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हुआ करते थे। उनके कंधे पर ही संधिया को राजनीति में एंट्री दिलाने की जिम्मेदारी थी।
जब हुई सिंधिया से मुलाकात
उन्हीं के माध्यम से इमरती देवी की मुलाकात सिंधिया से हुई। उस वक्त तक अंचल में इमरती के अलावा और कोई दूसरी महिला नेता नहीं थी। इस कारण से सिंधिया का उन्हें सहारा मिला और वो लगातार चुनाव जितते गईं। यही कारण है कि आज इमरती देवी, ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना राजनीतिक गुरू मानती हैं। वो उनके लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। एक बार उन्होंने कहा था कि अगर सिंधिया महाराज हमें कुएं में कुदेंगे तो वही भी कूद जाएंगी।
राजनीतिक सफर
इमरती देवी की अगर राजनीतिक सफर को देखें तो साल1997-2000 तक वह जिला युवा कांग्रेस कमेटी ग्वालियर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहीं। इसके बाद 2002 से 2005 में जिला कांग्रेस कमेटी की महामंत्री एवं किसान कांग्रेस कमेटी की प्रदेश महामंत्री बनीं। साल 2008 में पहली बार वो विधानसभा पहुंची। इसके बाद साल 2013 में वो दूसरी बार विधानसभा पहुंची और साल 2018 में तीसरी बार। इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी और वो इस सरकार में मंत्री बनीं। बाद में जब प्रेदश में सियासी उठा पटक हुआ तो वो बीजेपी सरकार में भी मंत्री बनीं। लेकिन जैसे ही उपचुनाव के नतीजे आए। उसके बाद से ही इमरती देवी बनवास झेल रही है।
इस वजह से हारी
इमरती देवी को उनके ही समधी कांग्रेस के सुरेश राजे (Suresh Raje) ने हराया है। उन्हें इस चुनाव में भितरघात का सामना करना पड़ा था। वहीं डबरा पहले से ही कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। लेकिन इस बार इमरती भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में थीं इस कारण से भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं चुनाव के समय उनको लेकर हुई बयानबाजी को भी हार का एक बड़ा कारण माना जा सकता है।