नई दिल्ली। मृत व्यक्ति के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। सुनने में ये बात आपको शायद अजीब भी लगे। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी होने वाली आय टैक्स के अंतर्गत आती है और उसके कानूनी उत्तराधिकारी को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत होती है। कुलमिलाकर कहें तो मृत व्यक्ति की आय पर इनकम टैक्स रिटर्न भरना पड़ता है।
इस स्थिति में भरना होता है टैक्स
अगर मृत व्यक्ति की आय और इनकम के लाभ चैपटर-4 में दी गई छूट की सीमा से ऊपर है, तो उसके लिए इनकम टैक्स फाइल करना जरूरी है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति की आय इस सीमा के नीचे भी है तो कुछ अन्य कारणों से भी व्यक्ति के वारिस को इनकम टैक्स भरना पड़ सकता है। यही नहीं अगर मृत व्यक्ति की विदेश में संपत्ति है, या मृत व्यक्ति के चालू खाते में वर्तमान में 1 करोड़ से ज्यादा की रकम है या फिर मृत व्यक्ति के नाम 1 लाख से ज्यादा बिजली का बिल है, या मृत व्यक्ति विदेश यात्रा पर 2 लाख से ज्यादा खर्च कर चुका है, तो ऐसी स्थिति में भी मृत व्यक्ति के वारिस को इनकम टैक्स भरना होगा।
दंड का भी है प्रावधान
इन सभी परिस्थितियों में इनकम टैक्स की धारा 159 के तहत मृत व्यक्ति के वारिस को अंतिम तारीख से पहले जितनी भी देनदारी है उतना टैक्स भरना होता है। ऐसा न होने पर व्यक्ति को इनकम टैक्स कानून के तहत दंड भी दिया जा सकता है।
कैसे करें आईटीआर फाइल
संबंधित मामले में सबसे पहले आपको आधिकारिक पोर्टल https://incometaxindiaefiling.gov.in पर रजिस्टर करना होगा। इसके बाद कानूनी वारिस के उत्तराधिकारी के रूप में रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसमें मृत व्यक्ति के नाम, पैन नंबर, मृत्यु की तारिख, बैंक अकाउंट के डिटेल आदि भरना जरूरी है। इसके अलावा मृत व्यक्ति के वारिस का सत्यापित दस्तावेज भी जरूरी है। जब आप सभी आवश्यक चीजों को भरकर फाइल करेंगे तो आपका आईटीआर फाइल हो जाएगा।
जानकार मानते हैं कि अगर आपका ‘इनकम’ टैक्स के दायरे में नहीं भी आता है, तब भी आपको आईटीआर दाखिल करना चाहिए। इसको करने से आपको कई लाभ मिलते हैं। जैसे विदेश जाने में आसानी और लोने लेने में आसानी।
आइए जानते हैं इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने पर आपको कौन-कौन से फायदे मिल सकते हैं-
1. आयकर रिटर्न आपकी इनकम का प्रूफ होता है। इसे सभी सरकारी और प्राइवेट संस्थान इनकम प्रूफ के तौर पर स्वीकार करते हैं। अगर आप नियमित तौर पर ITR फाइल करते हैं तो आपको बैंक से आसानी से लोन मिल जाता है।
2. ITR भरने पर एक प्रमाण पत्र मिलता है। जब भी ITR फाइल किया जाता है, तब उसके साथ फॉर्म 16 भरा जाता है, फॉर्म 16 वहां से मिलता है, जहां व्यक्ति जॉब कर रहा है। इस तरह एक सरकारी तौर पर प्रमाणिक कागजात हो जाता है, जिससे यह साबित होता है कि व्यक्ति की इतनी रुपए सालाना नियत आय है। आय का रजिस्टर्ड प्रमाण मिलने से क्रेडिट कार्ड, लोन या खुद की क्रेडिट साबित करने में मदद होती है।
3. कई देशों के वीजा के लिए 3 से 5 साल का इनकम टैक्स रिटर्न मांगे जाते हैं। ITR के जरिए वे चेक करते हैं कि जो आदमी उनके देश में आना चाहता है कि उसका फाइनेंशियल स्टेटस क्या है।
4. आप किसी विभाग के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना चाहते हैं तो आपको ITR दिखाना पड़ेगा। किसी सरकारी विभाग में कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए भी पिछले 5 साल का ITR देना पड़ता है।
5. अगर आप एक करोड़ रुपए का बीमा कवर (टर्म प्लान) लेना चाहते हैं तो बीमा कंपनियां आपसे ITR मांग सकती हैं। वास्तव में वे आपकी आय का स्रोत जानने और उसकी नियमितता परखने के लिए ITR पर ही भरोसा करती हैं।
6. इसके अलावा टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए आपको ITR दाखिल करना जरूरी है। आप जब ITR दाखिल करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसका एसेसमेंट करता है। अगर रिफंड बनता है तो वह सीधे बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है। वहीं, अगर आप खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ITR भरना बहुत जरूरी है।