ICMR Guidelines for Vegetarians: हम सभी की आधी से ज्यादा बीमारियों की वजह हमारा गलत खानपान है. देश में 56.4 बीमारियों की वजह अनहेल्दी डायट है. ये ICMR यानी इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन की एक गाइडलाइंस का कहना है.
ICMR ने 13 साल के अंतराल के बाद लोगों के खानपान को लेकर गाइडलाइन जारी की है. संस्था कहती है कि हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करके बीमारियों से होने वाली मौतों को पहले से ही रोका जा सकता है.
गाइडलाइंस कहती है कि एक व्यक्ति को हेल्दी रहने के लिए दिनभर में 1,200 ग्राम खाना जरूरी है. इससे करीब 2,000 कैलोरी मिलती है. थाली में 100 ग्राम फल, 400 ग्राम हरी सब्जी, 300 मिली दूध या दही, 85 ग्राम दाल या अंडा, 35 ग्राम मेवा-बीज और 250 ग्राम अनाज खाना बहुत है.
दिनभर में 27 ग्राम से ज्यादा चिकनाई लेना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. मांसाहारी खाने में दिनभर में अधिकतम 70 ग्राम चिकन या मीट काफी है.
घी के मुकाबले सरसों का तेल फायदेमंद
गाइडलाइंस के मुताबिक हमारे खाने में तीन तरह का फैटी एसिड होता है. जिसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड, मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड शामिल है. सैचुरेटेड फैटी एसिड का जितना सेवन कोई करेगा तो उससे कैलोरी की मात्रा में भी उतना ही इजाफा होगा.
कैलोरी जितनी बढ़ेगी उतनी ही दिल से जुड़ी बीमारी और फिर स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ेगा. इसके अलावा ट्रांस फैट से भी बचने की सलाह दी गई है. घी, पाम ऑयल और नारियल तेल में सैचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा सबसे ज्यादा होती है. वहीं, सरसों के तेल में यह सबसे कम पाया जाता है. यानी घी से ज्यादा सरसों का तेल आपके लिए फायदेमंद है.
अनहेल्दी डाइट का बच्चों पर असर
कम उम्र में ही बच्चे ज्यादा वजन, मोटापा, डायबिटीज से पीड़ित है. इनके बढ़ते जोखिम की वजह से उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी एक वजह तो खान पान ही है. ज्यादा फैट, शुगर और नमक वाले फूड प्रोडक्ट अब हेल्दी फूड प्रोडक्ट्स के मुकाबले ज्यादा आसानी से बाजारों में उपलब्ध हैं.
अनहेल्दी फूड के बारे में एडवर्टाइजमेंट और मार्केटिंग के कारण ये फूड प्रोडक्ट ज्यादा प्रसिद्ध हो गए हैं और यहीं उनमें बीमारी का कारण बन रहे हैं. स्टडी में 6 महीने से कम बच्चों को सेरेलक देने को मना किया है.
पानी खड़े होकर पीएं या बैठ के
बड़े बुजुर्ग कितनी बार मना करते हैं कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए. घुटनों में दर्द होने लगेगा. हालांकि ICMR की रिपोर्ट ने अपनी इस गाइडलाइंस में इस बात को खारिज किया है. रिपोर्ट कहती है कि बैठकर पानी पीने से भी कोई समस्या नहीं है और खड़े होकर भी पानी पीना भी ठीक है.
प्रोटीन सप्लीमेंट्स पर मनाही
ICMR ने बॉडी मास बढ़ाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने की भी सलाह दी है. इसमें कहा गया है कि बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर का लंबे समय तक सेवन के साथ कई खतरे जुड़े हुए हैं. जैसे कि बोन मिनरल लॉस और किडनी को नुकसान.
प्रोटिन सप्लीमेंट्स में चीनी, अंडा, डेयरी प्रोडक्टस, सोया जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. जिसे हर दिन सेवन करना स्वास्थ्य को खतरे में डालने जैसा है.
गर्भवती महिला के लिए भोजन
गर्भावस्था के दौरान महिला को सुबह छह बजे 150 ml दूध का सेवन जरूरी है, जिससे करीब 110 कैलोरी प्राप्त होगी. सुबह आठ बजे नाश्ता, जिसमें साबुत अनाज 60 ग्राम, 75 ग्राम सब्जी, 20 ग्राम दाल, 20 ग्राम मेवा और पांच ग्राम तेल होना चाहिए.
दोपहर एक बजे भोजन में चावल या फुल्का (100 ग्राम), दाल (30 ग्राम), दही, फल का सेवन करना चाहिए. शाम चार बजे मेवा और 50 मिली दूध काफी है. रात आठ बजे भोजन में चावल या फुल्का (60 ग्राम), लाल चना या चना (25 ग्राम), तेल 10 ग्राम और 50 ग्राम फल का सेवन जरूरी है. यह दिनचर्या स्वस्थ शिशु के जन्म की संभावना को कई गुना बढ़ा देती है.
क्या है SFA?
संतृप्त वसा एक प्रकार का वसा है जिसमें फैटी एसिड श्रृंखला में कार्बन परमाणुओं के बीच सभी एकल बंधन होते हैं। ग्लिसराइड के रूप में जाना जाने वाला वसा दो प्रकार के छोटे अणुओं से बना होता है: एक छोटी ग्लिसरॉल रीढ़ और फैटी एसिड, जिनमें से प्रत्येक में कार्बन (सी) परमाणुओं की एक लंबी रैखिक या शाखित श्रृंखला होती है.
हेल्दी फैट्स शरीर के लिए बेहद जरूरी और फायदेमंद होते हैं. ऐसे में गुड फैट को डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए.
MUFA क्या होता है ?
फैट्स चार तरह के होते हैं इसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैट्स (MUFA) और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट्स (PUFA) को अच्छे फैट्स की श्रेणी में रखा जाता है वहीँ ट्रांस फैट्स और सैचुरेटेड फैट्स(SAFA) को खराब वसा की श्रेणी में रखा गया है.
माना जाता है कि MUFA बॉडी में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बनाए रखने में मदद करता है.
PUFA का महत्व
PUFA भी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में इसके सेवन से अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम होने लगती है.वहीं दूसरी ओरसैचुरेटेड फैट्स की ज्यादा मात्रा LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है.
इसके अतिरिक्त ट्रांस फैट्स जो हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया के दौरान बनते हैं, LDL स्तर में वृद्धि करते हैं जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.