Chhattisgarh IAS Manoj Pingua appointed Nodal Officer for Caste Census 2027: जनगणना 2027 की राष्ट्रीय प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ शासन के गृह और जेल विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ (IAS Manoj Pingua) को आगामी राष्ट्रीय जनगणना कार्यक्रम के लिए राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इस संबंध में केंद्र सरकार की 16 जून 2025 की अधिसूचना के आधार पर राज्य शासन ने आदेश जारी कर दिया है।
आदेश जारी..
इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है। आदेश में बताया गया है कि, जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्र सरकार ने अधिसूचना संख्या क. आ. 2681 (अ) दिनांक 16.06.2025 के तहत घोषणा की है कि भारत की जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी। उक्त अधिसूचना भारत सरकार के राजपत्र में दिनांक 16.06.2025 को प्रकाशित की गयी है।
अतः राज्य शासन एतद्वारा, राज्य क्षेत्र में जनगणना गतिविधियों के समन्वय के लिए श्री मनोज कुमार पिंगुआ IAS Manoj Pingua), अपर मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, गृह एवं जेल विभाग को नोडल अधिकारी नियुक्त करता है।
16 वर्षों बाद होगी अगली जनगणना
भारत की अगली जनगणना 2027 में होने जा रही है, जो 16 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित की जाएगी। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इस बार जनगणना न केवल डिजिटल होगी, बल्कि इसमें पहली बार जातिगत आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। सरकार ने इसे दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है।
संदर्भ तिथि और चरण निर्धारण
देश के शेष हिस्सों के लिए जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 तय की गई है, जबकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फीले क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी। मकान सूचीकरण का कार्य अप्रैल 2026 से शुरू होने की संभावना है, जबकि अंतिम चरण फरवरी 2027 में होगा।

30 लाख से अधिक गणनाकर्ताओं की होगी तैनाती
इस बार के जनगणना अभियान में देशभर में लगभग 30 लाख गणनाकर्ता और पर्यवेक्षक शामिल होंगे। इनकी ट्रेनिंग के लिए लगभग 100 राष्ट्रीय प्रशिक्षक, 1800 मास्टर ट्रेनर और 45,000 फील्ड ट्रेनरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो आगे जनगणना करने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेंगे।
पहली बार नागरिक कर सकेंगे स्वयं गिनती में भागीदारी
यह भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी जिसमें नागरिकों को खुद को ऑनलाइन गिनाने की सुविधा दी जाएगी। इससे प्रक्रिया पारदर्शी और अधिक प्रभावी होगी। जनगणना के लिए तैयार किए गए तीन दर्जन प्रश्नों में घर की स्थिति, संसाधनों की उपलब्धता, जाति, शौचालय, जल स्रोत, वाहन, गैस कनेक्शन आदि की जानकारी मांगी जाएगी।
13,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च की संभावना
सरकारी अनुमान के अनुसार, इस संपूर्ण जनगणना प्रक्रिया पर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च आने की संभावना है। 2021 में प्रस्तावित जनगणना को कोविड के कारण स्थगित करना पड़ा था। अब केंद्र सरकार ने इसे 2027 में आयोजित करने का फैसला लिया है, जिसमें एनपीआर को अपडेट करने का भी प्रस्ताव है।
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राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगी यह जनगणना
इस जनगणना में पहली बार जातिगत आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे। जातिगत गणना का यह प्रयास 1931 के बाद पहली बार किया जाएगा। यह जनगणना राजनीतिक दलों और समाजशास्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति और विकास के स्तर को उजागर करने में मदद करेगी।