Govt Employee Town: भारत में हर युवा की पहली पसंद सरकारी नौकरी होती है। अधिकतर युवा 12वीं के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर देते हैं।
किसी को इसमें सफलता मिल जाती है और कई प्रयास करते रहते हैं। भारत में हर साल लाखों की संख्या में व्यक्तियों को सरकारी नौकरी मिल जाती है।
देश में IAS यानी कलेक्टर की नौकरी सबसे बड़ी मानी जाती है। इसके लिए UPSC परीक्षा लेती है। भारत के सबसे कठिन एग्जाम में UPSC का नाम सबसे ऊपर आता है।
आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसे अफसरों की फैक्टरी (Govt Employee Town) कहा जाता है। इस गांव से कई IAS, IPS और IRS निकले हैं।
ये गांव है अफसरों की फैक्टरी
भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तरप्रदेश के एक जिले जौनपुर के माधोपट्टी नाम के एक गांव में हर घर से आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS), आईआरएस (IRS) बने हैं।
इस गांव को अफसरों की फैक्टरी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के साथ भारत में भी इसे अफसरों की फैक्टरी के नाम से ही जाना जाता है।
इस गांव में रहने वाले लोगों का मानना है कि हमारे गांव में मां सरस्वती का वास है। इसी कारण गांव से कई लोग इतने बड़े पदों पर कार्य कर रहे हैं।
अभी तक कितने लोगों की लगी नौकरियां
इस गांव से अभी तक सैकड़ों से भी ज्यादा स्टूडेंट्स की नौकरियां देश के सबसे बड़े पदों पर लग चुकी हैं।
इनकी संख्या की बात की जाए तो 50 से अधिक आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) और आईआरएस (IRS) निकल चुके हैं और सभी देश के अलग-अलग राज्यों में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं।
IAS और IPS के साथ इस गांव से पीसीएस, पीपीएस, इंजीनियर, कई एमबीबीएस, वैज्ञानिक भी निकल चुके हैं जो देश के अन्य राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं गांव का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 मई को जौनपुर में आए थे। यहां एक चुनावी सभा के दौरान उन्होंने मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर माधोपट्टी गांव का जिक्र अपने भाषण में पूरे जोश के साथ किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा था इस गांव को अफसर पैदा करने वाली फैक्टरी भी कहा जाता है। इसे ऐसा कहा भी क्यों न जाए, क्योंकि गांव में करीब 75 परिवार ही रहते हैं।
इन 75 परिवारों में से 50 से ज्यादा आईएएस (IAS) हैं।
2019 चुनाव में इतने अफसरों ने किया था मतदान
2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो इस गांव से लगभग 878 यानी 65 फीसदी अफसरों ने मतदान किया था जबकि बीते पंचायत चुनाव में यह मतदान का आंकड़ा 78 फीसदी रहा था।
इस गांव का जिक्र पूरे उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत में भी होता है। इस गांव से प्रभावित होकर आस-पास वाले गांवों के बच्चे भी अपनी पढ़ाई पर खास ध्यान देते हैं और उनकी भी इच्छा बड़े होकर अफसर बनने की होती है।
साल 1952 में निकला पहला IAS
साल 1952 की बात है जब इस माधोपट्टी गांव से यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल कर डॉ. इंदुप्रकाश गांव के पहले IAS बने थे।
इसी के बाद यहां से अफसर निकलने का सिलसिला शुरू हो गया और साल 1964 में छत्रसाल सिंह ने IAS परीक्षा पास की और तमिलनाडु के मुख्य सचिव के पद पर बैठे।
इसी के साथ साल 1964 में ही अजय सिंह और 1968 में शशिकांत सिंह IAS बने। 1995 में IAS विनय सिंह बिहार के मुख्य सचिव बने।
1980 में आशा सिंह, 1982 में ऊषा सिंह और 1983 में इंदु सिंह भी सिविल सर्विस में चुनी गईं। गांव से सरकारी अफसर निकलने का सिलसिला अभी भी जारी है।
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