Home Loan: हर कोई चाहता है कि एक दिन उसका अपना घर हो, लेकिन आज के वक्त में घर खरीदना या घर बनाना इतना आसान नहीं. घर खरीदने में एक मिडिल क्लास आदमी की सारी जमा पूंजी लग जाती है, फिर भी पैसे कम पड़ जाते हैं और तब जरूरत पड़ती है होम लोन (Home Loan) की. करीब 90 फीसदी लोग होम लोन लेकर ही घर बनाते हैं.
एक नौकरीपेशा को होम लोन देते वक्त तो बैंक उसकी सैलरी, बैंक स्टेटमेंट सब चेक करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेल्फ एंप्लॉयड लोगों को होम लोन कैसे दिया जाता है? बैंक कैसे चेक करते हैं कि उन्हें कितना होम लोन दिया जा सकता है और ब्याज दर (Bank Intrest Rate) कितनी होनी चाहिए? आइए जानते हैं बैंक (Bank) किन 5 फैक्टर्स को रखते हैं ध्यान में.
उम्र होता है एक बड़ा फैक्टर
Home Loan देते वक्त हर बैंक लोन (Bank Loan) लेने वाले की उम्र जरूर देखता है. सेल्फ-एंप्लॉयड (Self Employed) लोगों को लोन देते वक्त भी उम्र पर काफी ध्यान दिया जाता है.
अगर सेल्फ-एंप्लॉयड (Self Employed) शख्स की उम्र कम है तो मुमकिन है कि वह अधिक होम लोन पा सकते हैं और साथ ही उसे लंबी अवधि के लिए भी लोन मिल जाता है.
ऐसे में उस शख्स को अपना होम लोन चुकाने में ज्यादा दिक्कत भी नहीं होती है, क्योंकि ईएमआई छोटी बन सकती है.
जरूरी दस्तावेज चेक करना
बैंक की तरफ से होम लोन देने से पहले आवेदनकर्ता से कई जरूरी दस्तावेज लिए जाते हैं, जिनके आधार पर बैंक चेक करता है कि उस शख्स की वित्तीय हालत कैसी है.
इसके तहत बैंक इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return), प्रॉफिट-लॉस स्टेटमेंट (Profit Loss statement), बैलेंस शीट (Balance Sheet) , बैंक स्टेटमेंट (Bank Statement) जैसी चीजें मांगता है. इनसे यह अंदाजा लगाया जाता है कि उस व्यक्ति की वित्तीय हालत कैसी है. साथ ही यह भी पता चलता है कि उस शख्स का बिजनेस कैसा चल रहा है. इनसे बैंक अपने होम लोन के डूबने की आशंकाओं को कम करता है.
नेट इनकम का कैलकुलेशन
किसी भी सेल्फ-एंप्लॉयड शख्स (Self Employed) की नेट इनकम (Net Income) होम लोन देने वाले बैंक के लिए बहुत मायने रखती है. इसके आधार पर बैंक को ये पता चलता है कि उस शख्स के हाथ में हर महीने कितने रुपये आते हैं.
कई तरह के दस्तावेजों से बैंक इसका पता लगाता है और फिर उसी आधार पर होम लोन देता है. नेट इनकम से बैंक को ये समझने में आसानी मिलती है कि वह शख्स सारी ईएमआई (EMI) समय से चुका पाएगा या नहीं.
क्रेडिट स्कोर चेक करना
किसी भी शख्स को होम लोन देने से पहले बैंक उसका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) भी चेक करता है. इससे पता चलता है कि वह क्रेडिट को लेकर कैसा है, यानी समय से लोन का भुगतान करता है या नहीं.
अगर सेल्फ-एंप्लॉयड शख्स का क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अधिक है तो उसे होम लोन आसानी से मिल सकता है, लेकिन अगर क्रेडिट स्कोर खराब है तो होम लोन मिलना मुश्किल हो सकता है. बता दें कि क्रेडिट स्कोर 300-900 के बीच रहता है.
बिजनेस के अलावा दूसरे सोर्स
बैंक यह भी देखता है कि सेल्फ-एंप्लॉयड शख्स की किसी दूसरे सोर्स से भी कमाई हो रही है या फिर वह सिर्फ बिजनेस पर निर्भर है. दूसरे सोर्स से होने वाली ये कमाई रेंटल इनकम हो सकती है,
कहीं निवेश (Investment) से होने वाली कमाई हो सकती है या फिर जमीन-जायदाद से होने वाली कमाई हो सकती है. अगर उस शख्स की दूसरे सोर्स से भी कमाई हो रही है तब तो यह एक अच्छा संकेत है, जिससे होम लोन आसानी से मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
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