भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जब से जीत का परचम लहराया तब से एक सवाल सबकी जुबान पर था। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान फिर से सीएम बनेंगे या या कोई नया नाम सामने आएगा।
करीब 7 दिन अटकलों और कयासबाजी का दौर चला। बीजेपी ने मुख्यमंत्री चुनने में ज्यादा जल्दबाजी नहीं दिखाई और करीब एक हफ्ते बाद मोहन यादव के नाम की घोषणा कर दी।
BJP में अब कैसे मिलती है जिम्मेदारी, पार्टी के मुखिया जेपी नड्डा ने किया खुलासा, शिवराज, वसुंधरा और रमन पर क्या बोले राष्ट्रीय अध्यक्ष?
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मुख्यमंत्री की दौड़ में जितने भी नाम थे, वो सब हवा हो गए और मोहन यादव को चुन लिया गया। कई लोगों को लगा की बीजेपी ने अचानक ही मोहन यादव का नाम फाइनल कर दिया। लेकिन, ये सब प्रक्रिया अचानक नहीं हुई, इसके लिए बीजेपी ने एक लंबी प्रोसेस अपनाई थी। इसका खुलासा खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया है।
बीजेपी में इस तरह से चुने जाते हैं मुख्यमंत्री
हाल ही में जेपी नड्डा ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में बीजेपी की वर्किंग प्रोसेस पर बात की। नड्डा ने बताया कि बीजेपी किसी भी पद पर नेता का चयन करने के लिए गहरी रिसर्च करती है। ये प्रोसेस वरिष्ठ पदों पर चयन के साथ-साथ जमीनी स्तर पर भी किसी नेता के चयन में भी लागू की जाती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुताबिक पार्टी सभी कार्यकर्ताओं पर गहराई से नजर रखती है। बीजेपी से जुड़े नेताओं का इतिहास, उनकी गतिविधियां और उनकी प्रतिक्रियाओं का पार्टी के पास एक डेटा बैंक होता है। समय-समय पर बीजेपी की टीम इस डाटा का एनालिसिस करती है।
एमपी के मंत्रिमंडिल में मिलेगा नए चेहरों को मौका
मुख्यमंत्री मोहन यादव और दो डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला पद और गोपनीयता की शपथ ले चुके हैं। अब सबकी निगाहें मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल गठन पर टिकी है।
जिस तरह से 18 साल से मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को सीएम बनाया गया, वैसे ही राज्य की नई सरकार के मंत्रिमंडल में भी बेहद चौंकाने वाले नाम हो सकते हैं।
माना जा रहा है कि, नई कैबिनेट में कई नए चेहरों को मौका मिल सकता है। कई नए विधायक मंत्री बन सकते हैं तो वहीं शिवराज सरकार में सालों से मंत्री रहे नेताओं को जगह मिलना अब मुश्किल है। ये संकेत भी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हालिया बयान से मिले हैं।
कैबिनेट से बाहर हो सकते हैं कई दिग्गज!
हाल ही में हुए तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर जेपी नड्डा ने कहा, “चुनावी चयन प्रक्रिया उस समय शुरू हुई जब चुनाव की तारीखें घोषित की गईं और पार्टी ने टिकट देना शुरू किया। जब चुनाव की घोषणा हुई, जब से हमने उम्मीदवारों को टिकट दिए, हमारा नेता कौन होगा, विपक्ष या सत्ता पक्ष के लिए कौन अच्छा नेता होगा, तभी से चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई।‘’
उन्होने कहा, ‘’यह एक सतत प्रक्रिया है। चुनाव नतीजे आने के बाद यह सिलसिला तेज हो जात है और गहन मंत्रणा की जाती है। यही बात कैबिनेट चयन के लिए भी लागू होती है।‘’
सियासी जानकारों की मानें तो, राज्य की नई सरकार के मंत्री चुनने में भी इस प्रोसेस को ही अपनाया जाएगा। ऐसे में कई कद्दावर नेताओं का फिर से मंत्री बनने का सपना टूट सकता है, तो वहीं कई नए विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।‘’
ये नए चेहरे बन सकते हैं मंत्री
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने नई रणनीति के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा और कई पुराने नेताओं के टिकट काटकर नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा। बीजेपी की रणनीति बेहद कामयाब हुई और पार्टी ने 230 में से 163 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई।
इसी रणनीति पर अमल कर अब बीजेपी एमपी के मंत्रिमंडल में युवा और नए चेहरों को मौका दे सकती है। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में कई नाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
साथ ही संघ के करीबी और जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश भी नई कैबिनेट में होगी। वहीं, कुछ महिला विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना है।
इसमें सबसे पहला नाम रीती पाठक का है, सांसदी छोड़कर विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरने वालीं पाठक को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है।
इसके अलावा गुना के पुराने संघी और आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता पन्नालाल शाक्य को भी राज्य मंत्री के रूप में मौका मिल सकता है।
युवा चेहरों में नारायण सिंह पवार, अरुण भीमावद, राजेश सोनकर, आशीष शर्मा और विजय शाह को भी पार्टी मंत्री पद दे सकती है। ये वो नाम हैं, जिनको लेकर इस वक्त चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में चल रही हैं।
माना जा रहा है कि 30 से 35 विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है, इसमें दलित और कई ओबीसी चेहरे आपको देखने मिल सकते हैं।
कैलाश विजयवर्गीय-प्रहलाद पटेल को मिलेगी केंद्र में जिम्मेदारी?
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे। दरअसल, दोनों दिग्गज नेताओं ने संगठन को ये स्पष्ट कर दिया है कि कैबिनेट में उनकी भूमिकाओं पर विचार ना किया जाए। वे मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नहीं बनना चाहते।
माना जा रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल को केंद्र या संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। प्रहलाद पटेल केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, तो अब उन्हें संगठन में काम करने का मौका दिया जा सकता है, तो वहीं लंबे समय से महासचिव की जिम्मेदारी संभालने वाले कैलाश विजयवर्गीय को केंद्र में शिफ्ट किया जा सकता है।
बता दें, इंदौर की विधानसभा नंबर-1 से विजयवर्गीय ने कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला को 57 हजार 939 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं नरसिंहपुर विधानसभा सीट से प्रहलाद सिंह पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार लाखन सिंह पटेल को 31 हजार 310 वोटों से हराया था।
शिवराज-वसुंधरा-रमन का क्या होगा?
तीन राज्यों में सीएम के ऐलान के बाद सियासी हलकों में एक सवाल जमकर पूछा जा रहा है, वो ये कि… अब शिवराज, रमन और वसुंधरा का क्या होगा।
इन तीनों दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य पर भी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान दिया है। नड्डा का कहना है कि, “सभी तीन पूर्व सीएम पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें पार्टी में उनके स्थान के मुताबिक भविष्य की भूमिकाएं दी जाएंगी। पार्टी में हर किसी को उसका हक दिया गया है।
उन्होने कहा, हमारी पार्टी एक छोटे से कार्यकर्ता का भी उपयोग करना बंद नहीं करती है। यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों में से किसी ने असंतोष दर्ज किया है, नड्डा ने कहा कि कुछ हद तक बैठ जाओ ऐसी भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं है। मैं उनसे कहता हूं कि आपने पार्टी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हम एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं, हमें इसमें आपके समर्थन की जरूरत है”।
बहरहाल मोदी-शाह की जोड़ी ने बीजेपी में जिस नई किस्म की राजनीति की शुरूआत की है, उससे अब कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है। इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का सियासी भविष्य क्या होगा, ये तो वक्त ही बताएगा।
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