Election ink: लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है अगर आपने कभी भी, जीवन में एक बार भी वोट दिया है, तो आपको पता होगा कि चुनावी स्याही क्या होती है।
इसी स्याही को दिखाकर अक्सर लोग मतदान के बाद सेल्फी लेते हैं। यह सेल्फी लेने का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है।
Election ink: उंगली पर लगी चुनावी स्याही आखिर क्यों नहीं मिटती, बहुत सीक्रेट है फॉर्मूला, क्या इसे किया जा सकता है साफ?https://t.co/qyw8a4R5am#LokSabhaElection2024 #LokSabhaElection #electionink #secretformula pic.twitter.com/SAlh2a2Ag9
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) May 7, 2024
अपने मत का प्रयोग कर चुके लोगों की उंगली में इस स्याही को लगाया जाता है, ताकि वह मतदाता दोबारा वोट न डाल सके, लेकिन आखिर इस स्याही को क्यों लगाते हैं।
इसके पीछे एक बड़ा कारण है, दरअसल इस स्याही को लगाने के बाद उंगली से इसका रंग कई दिनों तक नहीं जाता है,बल्कि महीनों का समय भी लग जाता है।
यही कारण है कि इस स्याही को का इस्तेमाल कर फर्जी वोटरों से बचा जाता है।
स्याही में ऐसा क्या है खास
स्याही (Indelible Ink) में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो आपकी त्वचा अथवा नाखून के संपर्क में आने के बाद गहरा हो जाता है और गाढ़ा निशान छोड़ देता है।
सिल्वर नाइट्रेट की खास बात यह है कि इसका निशान कई दिन तक नहीं जाता है। जिस जगह यह स्याही लगती है, जब तक वहां नए सेल्स नहीं बन जाते हैं या नाखून नहीं बढ़ जाते, तब तक यह निशान नहीं जाता है।
सिल्वर नाइट्रेट तमाम दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है। खासकर रक्तस्राव को रोकने या घाव को संक्रमित होने से बचाने वाली दवाओं में इसका उपयोग किया जाता है।
सिल्वर नाइट्रेट की एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि ये फोटो सेंसिटिव है और इसे सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से बचाना चाहिए नहीं तो आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है।
चुनावी स्याही कौन खरीद सकता है
इस नीले स्याही को भारतीय चुनाव में शामिल करने का श्रेय देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को जाता है।
उंगली पर लगी स्याही दर्शाती है कि आपने अपने वोट दे दिया है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर ये स्याही क्यों नहीं मिटती है और यह बनती कैसे है। दरअसल इस स्याही को दक्षिण भारत में स्थित एक कंपनी मैसूर पेंड एंड वार्निश लिमिटेड में बनाई जाती है।
साल 1937 में इस कंपनी की स्थापना हुई थी। इस स्याही को कंपनी एमवीपीएल के जरिए सरकार या चुनाव से जुड़ी एजेंसियों को ही सप्लाई करती है। थोक में इसकी ब्रिकी नहीं होती है।
सीक्रेट है इसका फॉर्मूला
चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही (Indelible Ink) में सिल्वर नाइट्रेट के अलावा और कई चीजें इस्तेमाल की जाती हैं, लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी किसी और के साथ इस फॉर्मूले को शेयर नहीं कर सकती हैं।
क्या है स्याही की कीमत
चुनाव वाली स्याही की एक शीशी से कम से कम 700 उंगलियों पर पक्की स्याही लगाई जा सकती है। हर शीशी में 10 ML स्याही होती है और इसकी कीमत करीब 127 रुपये है।
इस लिहाज से 1 लीटर की कीमत करीब 12,700 रुपये होगी। वहीं, एक एमएल यानी एक बूंद की बात करें तो करीब 12.7 रुपये इसकी कीमत बैठेगी।
क्या इसे उंगली से हटाना है मुमकिन
यह उच्च क्वालिटी की चुनावी स्याही 40 सेकेंड से भी कम समय में सूख जाती है। उंगली पर स्याही लगाने के 1 सेकेंड के भीतर ही उंगली पर यह अपने दाग छोड़ देती है, हालांकि गांव-देहात या अन्य जगहों पर अक्सर कई बार सुनने को मिलता है कि इस स्याही को कैसे मिटाना है, लेकिन इसकी पुष्टि अबतक नहीं हो सकी है।
बता दें कि अगर आपने एक बार वोट दे दिया है तो प्रयास कीजिए की बूथ से बाहर चले जाएं और गलती से भी फर्जी वोट डालने के चक्कर में न पड़ें आपके पकड़े जाने पर आपको बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
क्या इस बार बनेगा नया रिकॉर्ड
एक और दिलचस्प बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अब तक की रिकॉर्ड स्याही इस्तेमाल की जा रही है।
इस बार 26.5 लाख शीशी स्याही यूज होगी। इससे पहले 2019 में 25.9 लाख और 2014 में 21.5 लाख शीशी इस्तेमाल की गई थी।