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मकान मालिक हो जाएं सावधान: सोच-समझ कर किराए पर दें मकान, नहीं तो होगा नुकसान, सरकार ने बदले नियम

Government New House Rent Rules 2025  सरकार ने किरायेदारी कानून (Tenancy Laws) में बड़ा बदलाव करते हुए मकान मालिकों की टेंशन बढ़ा दी है।

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Ashi sharma
House Rent Rules 2025

House Rent Rules 2025

New House Rent Rules 2025: अगर आप अपना घर किराए पर देना चाहते हैं, तो अभी इंतजार करें। क्योंकि सरकार ने मकान किराए पर देने से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए साल यानी 2025 से सरकार ने जो नए नियम लागू किए हैं, उन्हें जानकर आप चौंक जाएंगे।

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अब आप अपना घर किराए पर नहीं दे पाएंगे। इतना ही नहीं, अगर आप सरकार से चोरी के कारण अपना घर किराए पर दे रहे हैं तो आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। आपको जेल भी जाना पड़ सकता है और कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

मकान मालिक और किरायेदारी कानून में बड़ा बदलाव

केंद्र सरकार ने मकान मालिकों और किरायेदारों से संबंधित कानूनों में बड़े बदलाव किए हैं। इसकी जानकारी खुद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में दी। हाल ही में संसद में आम बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि किराये से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है।

सरकार यह नियम मकान मालिकों की टैक्स चोरी को रोकने के लिए लेकर आई है। नया नियम यह है कि 2025 में जो भी मकान मालिक अपना घर किराये पर देगा, उसे किराये से होने वाली आय पर टैक्स देना होगा।

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साथ ही किराये की आय को गृह संपत्ति से आय के रूप में दिखाना होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय का मतलब वह आय है जो एक घर का मालिक अपनी संपत्ति को किराए पर देकर कमाता है।

यह भी पढ़ें- Rent Agreement : 11 महीने के लिए ही क्यों बनता है रेंट एग्रीमेंट, 12 महीने का क्यों नहीं?

घर किराए पर देने से पहले सोचें

आसान भाषा में समझें तो अब घर के किराये से होने वाली आय पर सरकार को टैक्स देना होगा। वित्त मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि यह नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जाएगा।

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हालांकि, सरकार ने मकान मालिकों को राजस्व अधिनियम (Revenue Act) के तहत कुछ रियायतें देने की भी व्यवस्था की है। मकान मालिकों अब संपत्ति के नेट वर्थ पर 30 प्रतिशत टैक्स बचा सकेंगे। सरकार के इस नियम ने मकान मालिकों की टेंशन बढ़ा दी है।

Rent Agreement क्या है?

Rent Agreement एक प्रकार का अनुबंध है जो बताता है कि किरायेदार परिसर को कैसे किराए पर देगा और किरायेदार और मकान मालिक के अधिकार और जिम्मेदारियां क्या हैं। इसमें monthly rent, Occupancy, Security deposit, rental period और अन्य कारक शामिल हैं।

11 महीने का ही क्यों बनाया जाता है रेंटल एग्रीमेंट?

केवल 11 महीने के लिए रेंटल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि मकान मालिक बाद में कानूनी समस्याओं से बचने की कोशिश करते हैं। क्योंकि कानूनी तौर पर ऐसे लीसिस में जहां समझौता लंबी अवधि के लिए होता है, अक्सर किराया, किराएदारी और अवधि जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।

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इससे किराया नियंत्रण कानूनों के तहत किसी अन्य पक्ष (किरायेदार) द्वारा संपत्ति को अधिक किराये पर देने की संभावना बढ़ जाती है। यह किरायेदार अनुकूल है. विवाद की स्थिति में, किराया किराएदारी अधिनियम के दायरे में आने वाला यह समझौता लंबी अदालती लड़ाई का कारण बन सकता है।

क्‍या कहता है कानून

रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 का सेक्शन 17 कहता है कि रेंट एग्रीमेंट 12 महीने से कम समय के लिए बनाया जाए तो उसके रजिस्‍ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है यानी मकान मालिक और किराएदार, दोनों ही कागजी कार्यवाही से बच जाते हैं।

लेकिन अगर एग्रीमेंट 12 महीने से ज्‍यादा समय का हो तो कागजातों को सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में जमा करके रजिस्‍ट्रेशन कराना पड़ता है। इसके लिए रजिस्‍ट्रेशन चार्ज और स्‍टांप ड्यूटी भी देनी पड़ती है। लेकिन 12 महीने से कम समय के लिए एग्रीमेंट बनवाकर मकान मालिक और किराएदार, दोनों ही इन झंझटों से बच जाते हैं।

यह भी पढ़ें- MP Tenancy Rent Rules: मकान मालिक अब मनमर्जी नहीं बढ़ा पाएंगे रेंट, इस कंडीशन में किरायदार को देना होगा चार गुना किराया!

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