शहद का इस्तेमाल तो हम सभी करते हैं लेकिन अगर आपको यह पता पड़े की आपके शहद का ब्रांड जिसे आप शुद्ध समझ कर यूज कर रहे हैं और वह नकली निकले तो शायद आपको थेड़ा धक्का जरुर लगेगा। दरअसल, एक सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट (CSE) ने खुलासा किया गया है कि भारतीय बाजारों में बिकने वाले शहद के लगभग सभी ब्रांड्स में मिलावच हो रही है।
यह फूड फ्रॉड है
CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण का कहना है कि शहर में शुगर सिरप की मिलावट खाद्य धोखाधड़ी (Food Fraud) है। यह 2003 और 2006 में सीएसई द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक में की गई मिलावट की खोजबीन से ज्यादा कुटिल और ज्यादा जटिल है। लोग इस समय जानलेवा कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। ऐसे कठिन समय में भोजन में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (Overuse) हालात को और भयावह बना देगा।
NMR परीक्षण में फेल हुए नमूने
इन ब्रांड के नमूनों को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (CALF) में जांचा गया। लगभग सभी शीर्ष ब्रांड (एपिस हिमालय छोड़कर) शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए, जबकि कुछ छोटे ब्रांड इस परीक्षण में फेल हुए, उनमें सी3 और सी4 शुगर पाया गया, यह शुगर चावल और गन्ने के हैं, लेकिन जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फेल पाए गए।
एनएमआर परीक्षण वैश्विक स्तर पर मोडिफाई शुगर सिरप को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए। इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था।
खोज में यह तथ्य मिले
– 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए।
– कुल जांचे गए 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हुए।
– शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए।
– 13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए।
– भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी
डाबर और पतंजलि ने किया खंडन
इस खबर का खंडन करते हुए डाबर और पतंजलि ने कहा कि यह दावे प्रेरित लगते हैं और इनका लक्ष्य कंपनी की छवि को खराब करना है। इसके अलावा कंपनियों ने कहा कि उनकी तरफ से बेचे जा रहे शहर पूरी तरह से असली हैं। इसके साथ ही उनको प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है और इसमें किसी भी तरह की चीनी की मिलावट नहीं की जाती है।
FSSAI के नियमों का होता है पालन
कंपनी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे प्रोडक्ट पूरी तरह से शुद्ध हैं. FSSAI के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है। डाबर के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट पर बोलते हुए कहा कि इस रिपोर्ट का लक्ष्य हमारे ब्रांड की छवि को खराब करना है। इसके साल ही पतंजलि के मैनेजिंग डारेक्टर आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि यह सिर्फ हमारे प्रोडक्ट को बदनाम करने की साजिश है, जिससे प्रोसेस्ड शहद का प्रचार किया जा सके। आगे उन्होंने कहा कि हमारे यहां कैपिटल और मशीनरी की मदद से 100 फीसदी शुद्ध शहद बनाया जाता है और Fssai के सभी मानदंडों का पालन भी किया जाता है।