मण्डला/देवेन्द्र यादव : होली पर्व नजदीक है औऱ लोग तिथि के अनुसार होली का यह पर्व बडे धूम धाम से मनाते है। लेकिन आज हम बात कर रहे मंडला आदिवासी क्षेत्र के बैगा बाहुल्य क्षेत्र धनगाँव की जहां एक दिन पहले होली मनाई जाती है। होली के दिन होली ना मनाकर एक दिन पहले ही होली मना ली जाती है। होली के दिन यदि गाँव में कोई होली मनाता है तो गाँव में हो जाती है कोई अनहोनी। देखिए ये खास रिपोर्ट।
गांव में मानाते है एक दिन पहले होली
मंडला जिला के ग्राम धनगांव की होली की कहानी सबसे अलग है। क्योंकि यहां एक दिन पहले ही होली खेली जाती है। यानि जब पूरा देश होलिका दहन करता है, तब यहां के लोग रंग-गुलाल में सराबोर नजर आते हैं। इसके पीछे की पंपररा क्या है, इससे पहले आपको इस गांव के अलवेले और अनोखे रंग दिखाते हैं। जब होली आती है, तब यहां बड़ों से लेकर बच्चे सबके चेहरों पर अलग ही खुशी नजर आती है। कोई ढोल बजाता है तो कई झूले से धुन बैठाता है।
एक दिन पहले क्यों मनाई जाती है होली?
गांव में मौजूद खैरोमाता की मढ़िया गांव में होली के एक दिन पहले ही क्यों लोग रंग गुलाल लगाते हैं। इसके पीछे कई सालों से आ रही एक परंपरा है। ग्रामीणों की मानें तो अगर यहां होली के दिन होली खेली जाती है तो ग्रामीणों को इसकी कीमत जन धन के नुकसान के साथ अदा करनी पड़ती है, किसी की फसल चौपट हो जाती है तो किसी से साथ अनहोनी या मौत भी होती है।
एक दिन पहले मनाते है दिवाली भी
मंडला का ग्राम धनगांव जहाँ दीवाली और हरियाली अमावस्या भी एक दिन पहले मनाई जाती है। जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर घने जंगलों के करीब बसे धनगांव की इस परंपरा को दो बार तोड़ने की कोशिश भी की गई, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। लिहाजा अब ग्रामीण एक दिन पहले ही होली के रंग में रंग जाते हैं। ग्रामीण सबसे पहले खैरोमाता की मढ़िया में पूजा करते हैं और फिर होलिका दहन वाले स्थान पर जाकर होली की राख से तिलक लगाते हैं। इसके बाद शुरू होती है रंग-गुलाल की होली। खास बात ये है कि यहां सिर्फ होली नहीं बल्कि दीवाली और हरियाली अमावस्या तिथि से एक दिन पहले ही मनाई जाती है।