Holi Bhai Dooj 2024: अगर आप भी होली के बाद आने वाली भाई दूज की तिथि को लेकर कंफ्यूज हैं तो आपको बता दें भाईबहन का खास त्योहार होली भाईदूज (Bhai Dooj ) इस बार मंगलवार 26 मार्च नहीं, बल्कि बुधवार को मनाई जाएगी। इसके समय में परिवर्तन तिथियों के घटने बढ़ने के कारण हुआ है।
होली भाईदूज कब मनाई जाएगी
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार सामान्य रूप से धुरेड़ी (Dhuredi 2024) के दूसरे दिन भाईदूज (Bhai Dooj) होती है। जिसके चलते कुछ लोग इसे 26 मार्च को मान रहे हैं। पर वास्तविक रूप से देखा जाए तो जब दूज तिथि सूर्योदय काल में आती है जब वह तिथि मान्य होती है।
इस बार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि वैसे तो 26 मार्च यानी मंगलवार को दोपहर 1:15 मिनट पर शुरु हो जाएगी। लेकिन इस तिथि में सूर्योदय नहीं होगा। इसलिए ये 26 मार्च को मान्य नहीं है।
27 मार्च को ही होगी भाईदूज
ज्योतिषाचार्या पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार 27 मार्च बुधवार को उदया तिथि में ही सूर्योदय होगा। इसलिए बुधवा को ही होली भाईदूज (Holi Bhai Dooj) का त्योहार मनाया जाएगा।
27 मार्च को कब तक रहेगी द्वितीय तिथि
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 मार्च को दोपहर 1:15 मिनट पर शुरू हो जाएगी। जो 27 मार्च को दोपहर 2:54 रहेगी। यानी बहने अपने भाइयों को दोपहर 2:54 बजे तक ही तिलक लगा पाएंगीं।
होली भाईदूज 2024 शुभ मुहूर्त
द्वितीय तिथि प्रारंभ : 26 मार्च मंगलवार दोपहर 1:15 बजे से।
द्वितीय तिथि समाप्ति : 27 मार्च बुधवार दोपहर 2:54 तक।
होली के बाद क्यों मनाया जाता है भाई दूज
इसे लेकर एक पौराणिक कहानी प्रचलित है। जिसके अनुसार खुद यमराज ने भैया दूज के दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर उनसे टीका लगवा कर बहन के घर ही भोजन किया था।
इसके बाद यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया और कहा, कि भाई दूज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जा कर तिलक लगवा कर भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन से भाई दूज के दिन की परंपरा शुरू है और भाई बहनों के घर जा कर टीका लगवाने लगे।
होली भाईदूज की पूजा विधि
होली के बाद आने वाली भाईदूज की पूजा विधि (Holi Bhai Dooj 2024 Puja Vidhi) बेहद आसान है। बुंदेलखंड की परंपरा के अनुसार इस दिन महिलाएं गोबर से घर के मुख्य द्वार पर द्वारपाल और दूजें बनाते हैं। फिर इस पर कपड़े के टुकड़े से ढककर रख देते हैं। इसके बाद भाईदूज की कथा सुनकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने के बाद आरती की जाती है।
कटाई को कुचलकर उतारते हैं बलाएं
पूजा समाप्त होने के बाद घर के मुख्य द्वार पर ही गोबर, एक मिट्टी का दीपक दखकर उसके नीले कटाई का पौधा रखा जाता है। फिर इस पर जल, हल्दी, रोली छिड़क कर इसे मूसल से पांच से सात बात कुचला जाता है।
कुचलते हुए भाई को बुरी नजर से बचाने की कहावत कही जाती है। फिर इसे आंखे बंद करके पैर से नाका जाता है। ताकि भाई को जो भी नजर, अला-बला लगी होती है। वह उतर जाए। इसके बाद आरती करके पूजा पूर्ण की जाती है।
भाई दूज की कथा
भाईदूज की कथा भगवान सूर्य के पुत्र और पुत्री यमराज तथा यमुना जी से जुड़ी है। मां यमुना को अपने भाई यमराज से बेहद प्रेम था। यमुना भाई यमदेव से उनके मित्रों के साथ घर आकर भोजन करने का आग्रह करती थीं। पर व्यस्तता के कारण देव यमराज बहन की इच्छा पूरी नहीं कर पा रहे थे।
पर लंबा समय बीतने के बाद बहन यमुना ने भाई को कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित कर आने के लिया बाध्य किया। पर यमराज ने सोचा कि मैं स्वयं प्राणों को हरने वाला हूं। इसलिए कोई भी मुझे घर नहीं बुलाना चाहता। इसके विपरीत बहन जिस पूरी श्रृद्धा भावना से मुझे घर बुला रही है,
जिसके चलते बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई यमराज को अपने घर आता देख बहन यमुना की प्रसन्नता का ठिकाना न था। इसके बाद बहन ने स्नान कर पूजा करके भाई को भोजन परोसा।
यमुना के इस स्वागत से भाई यमराज प्रसन्न हुए और उन्होंने बहन को वर मांगने को कहा।
इसके बाद बहन यमुना ने कहा आप इसी तरह मेरे घर द्वितीय तिथि को आते रहें। जो भी भाई अपनी बहन के घर इस तिथि को जाए उसे अकाल मृत्यु का भय न रहे।
तभी से ये परंपरा चली आ रही है। इस दिन बहन यमुना और भाई यमराज का पूजन किया जाता है।
यह भी पढ़ें:
Budha Gochar: नीच राशि से निकले बुध, दिखाएंगे असर, मिलेगा प्रमोशन-इंक्रीमेंट
Aaj ka Rashifal: आज इन जातकों पर बरसेगी बजरंग बली की कृपा, क्या आपकी राशि भी है शामिल