Holi 2021: कहीं लोग खेलते हैं खूनी होली, तो कहीं एक दूसरे पर बरसाते हैं अंगारे, जानिए होली से जुड़ी कुछ अनोखी परंपराओं के बारे में

भोपाल। भारत में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन देश में कुछ ऐसी भी अनोखी परंपराएं हैं जो सिर्फ हमें होली पर ही देखने को मिलती हैं। देश में कहीं फूलों से होली खेली जाती है तो कहीं अंगारों से। कहीं होली में लोग लड़की भगाकर शादी कर लेते हैं तो कहीं ये होली खूनी हो जाती है। तो चलिए जानते हैं होली से जुड़ी ऐेसे ही अनोखी परंपराओं के बारे में।
लड़की के गुलाल लगाने पर हो जाती है शादी
होली को लेकर अगर प्रदेश की बात करें तो यहां भील आदिवासी समुदाय के लोग होली के मौके पर भगोरिया मेले का आयोजन करते हैं। जहां इस समुदाय के लोग अपने लिए यहां जीवनसाथी ढूंढते हैं। मेले में आदिवासी लड़के एक खास तरह का वाद्य यंत्र बजाते हैं और नाचते गाते हैं। इस अवसर पर अगर कोई लड़का किसी लड़की को गुलाल लगा दे और अगर बदले में लड़की भी गुलाल लगा दे तो समझों दोनों शादी के लिए राजी हैं। इसके बाद दोनों मेले से भाग जाते हैं औत तब तक नहीं आते हैं जबतक की उनका परिवार दोनों की शादी के लिए राजी ना हो जाए।
आमतौर पर ये मेला होली से कुछ दिन पहले लगता है और परंपरा के अनुसार होली के दिन लड़का और लड़की के परिवार वाले मान जाते हैं और उनकी शादी कर दी जाती है।
अंगारे से होली खेलने की परंपरा
इसके अलावा मध्य प्रदेश में मालवा के कुछ इलाकों में एक और अनोखी परंपरा है जो हमें होली के दिन ही देखने को मिलती है। इस दिन यहां लोग एक दूसरे के उपर अंगारे फेंकते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से होलिका राक्षसी का अंत हो जाता है और ये खतरनाक परंपरा सालों से चली आ रही है। इसी तरह कर्नाटक के धाड़वाड़ जिले के बिड़ावली गांव में लोग होली के दिन अंगारों से खेलते।
राजस्थान के इस गांव में लोग होली के दिन मातम मनाते हैं
कहते हैं कि होली खुशियों का त्योहार है। इस दिन लोग खुशियां मानाते हैं। राजस्थान में एक ऐसी जगह है जहां लोग शोक में डूब जाते हैं। दरअसल, पुष्करणा ब्राह्मण समाज के चोवटिया जोशी जाति के लोग होली के मौके पर खुशियां मनाने की बजाय शोक मनाते हैं। यही नहीं होलाष्टक से होली तक, यहां के लोग अपने घरों में चूल्हा तक नहीं जलाते। लोग यहां होली के दौरान मातम से जुड़ी सारी रस्में अदा करते हैं।
गांव के लोगों का मानना है कि कई साल पहले पुष्करणा ब्राह्मण समुदाय की एक महिला अपने बटे को गोद में लेकर होलिका की परिक्रमा कर रही थी। तभी अचानक से उसका बच्चा होलिका की आग में गिर गया। बच्चे को बाने के लिए मां भी आग में कूद गई और दोनों की मौत हो गई। तभी से इस गांव में होली के दिन शोक मनाने की परंपरा चली आ रही है।
इस गांव के लोग खेलते हैं खूनी होली
राजस्थान में ही एक और परंपरा है जहां लोग खूनी होली खेलते हैं। ये परंपरा बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में रहने वाली जनजातियों के लोग होलिका दहन के अलगे दिन पहले आग पर चलते हैं और इसके बाद लोग अलग-अलग टोलियों में बंट जाते हैं। इसके बाद दोनों टोलियां एक-दूसरे के उपर पत्थर बरसाती है। इस परंपरा को लेकर स्थानिय लोगों का मानना है कि पत्थर की चोट से जो खून निकलता है उससे आने वाले दिनों में उन्हें संकट से दूर रखता है।