नई दिल्ली। शुभ कामों केHolashtak 2022 लिए वर्जित माने जाने वाले होलाष्टक की शुरुआत Holashtak 2022 आज से हो गई है। अब तक दिन तक यानि 17 मार्च को ये समाप्त होंगे। हिन्दु मान्यता अनुसार होलाष्टक का समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। 18 मार्च को धुरैड़ी मनाई जाएगी।
8 दिन तक चलेंगे होलाष्टक —
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाते हैं। इसके बाद फाल्गुन की पूर्णिमा (Phalgun Purnima) को होलिका दहन (Holika Dahan) के साथ ही इनकी समाप्ति हो जाती है। ये 8 दिन का समय (Holi) होलाष्टक कहलाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार इस दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। उसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। जिसमें विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि कार्य वर्जित है।
नए कार्य की नहीं होती शुरुआत
होलाष्टक में शुभ कार्य तो वर्जित होते ही हैं साथ ही कोई नया काम भी शुरू नहीं किया जाता है। जैसे बिजनेस, निर्माण कार्य या नई नौकरी भी करने से बचना चाहिए। पंडित रामगोविन्द शास्त्री से जानते हैं कि इस साल होलाष्टक कब से शुरु हो रहा है, समापन कब होगा। साथ ही ये भी जानेंगे कि इस दौरान अपशगुन क्यों माना जाता है।
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होलाष्टक की क्या है कथा — holashtak katha
राजा हरिण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए 8 दिन उसे बड़ी यातनाएं दी थीं। आठवें दिन राजा हरिण्यकश्यप ने बहन होलिका की गोदी में प्रहलाद को बिठा कर जलाने का प्रयास किया। पर प्रहलाद को कुछ न हुआ। मान्यता अनुसार होलिका को आग से कुछ न हो पाने का वरदान था। इन 8 दिनों तक प्रहलाद को दी गई यातनाओं के कारण होलाष्टक लगते हैं।
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होलाष्टक 2022 प्रारंभ
पंचांग के अनुसार, साल 2022 के फाल्गुन माह में होलाष्टक की शुरुआत 10 मार्च को तड़के 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है।
होलाष्टक 2022 समापन
आपको बता दें होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का समापन हो जाएगा। फाल्गुन की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च दिन गुरुवार को दोपहर 01:29 बजे से शुरु हो रही है। जो 18 मार्च दिन शुक्रवार को दोपहर 12:47 बजे तक रहेगी। ऐसे में 17 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ होलाष्टक समाप्त हो जाएंगे।
नहीं होंगे मांगलिक कार्य —
10 मार्च से शुरू हुए होलाष्टक 17 मार्च तक चलेंगे। इस दौरान किसी भी तरह के शुरू कार्य और नए कार्य की शुरुआत नहीं की जाएगी। ये 8 दिन अपशगुन माने जाते हैं।
होलाष्टक को क्यों मानते हैं अपशगुन —
होलाष्टक के दौरान राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे भक्त प्रहृलाद बहन होलिका के साथ मिलकर बहुत यातनाएं दी थीं। इतना ही नहीं फाल्गुन की पूर्णिमा पर होलिका में जलाकर प्रहृलाद को मारने का प्रयास किया था। पर वह विष्णु की कृपा से जीवित बच गए। और होलिका मर गई थी। दूसरी कथा अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने कामदेव को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को अपने क्रोध अग्नि से भस्म कर दिया था। ये दो खास वजह हैं जिनके चलते ये समय अपशगुन माना गया है।