Gujiya: गुजिया देश की सबसे मशहूर मिठाइयों में से है। होली पर इसे बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन, क्या आप जानते हैं आखिर गुजिया को सबसे पहले किसने बनाया। आइए गुजिया के बारे में जानते हैं सबकुछ।
होली रंगों का त्योहार है लेकिन, इस त्योहार पर बनने वाले पकवान के भी अलग ही रंग देखने को मिलते हैं। अगर आप खाने के शौकीन हैं और होली पर अलग-अलग तरह के जायके का लुत्फ उठाना चाहते हैं।
तो इस खास त्योहार पर गुजिया का स्वाद जरुर चखें, क्योंकि गुजिया (Gujiya) एक ऐसी डिश है जिसके बिना होली अधूरी है। पर उत्तर भारत की सबसे मशहूर और पारंपरिक मिठाई का क्या है इतिहास जानते हैं आप ?
क्या है गुजिया का इतिहास? (Where did Gujiya originate??)
होली पर गुजिया (Gujiya) बनाने की प्रथा सदियों पुरानी तो है ही पर इसका जन्म भारत में नहीं हुआ था। इतिहासकारों की मानें तो, गुजिया को सबसे पहले 13वीं सदी में बनाया गया था।
उस वक्त गेंहू के आटे की रोटी बनाकर इसमें गुड़ और शहद का मिश्रण भरा जाता था। इसे धूप में सुखाया जाता था।
ऐसा माना जाता है कि गुजिया समोसे का ही एक रूप है और ये अरब देशों से भारत तक पहुंची।
कहां बनी पहली गुजिया (Who invented Gujiya?)
गुजिया (Gujiya) को आखिर किसने सबसे पहले तैयार किया, इसे लेकर कई तरह की थियोरी हैं। इनमें से एक यह भी है कि यह तुर्किये से आई। तुर्किये में बनाया जाने वाला मशहूर बकलावा भी गुजिया की तरह ही डिश है।
इसे भी आटे से तैयार की गई परत में ड्राई-फ्रूट्स को भरकर तैयार किया जाता है। इसलिए माना जाता है कि गुजिया का आइडिया तुर्किये से आया।
बुंदेलखंड से कनेक्शन
भारत में अगर गुजिया के जन्म की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि यह बुंदेलखंड की देन है। इसी इलाके में मैदे की परत में खोया भरकर गुजिया को बनाया गया। जिसके बाद यह उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक पहुंची।
वृंदावन में, राधा रमण मंदिर वर्ष 1542 में बना था, जो इस शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। गुजिया और चंद्रकला आज भी यहां के पकवान का हिस्सा हैं। जिससे यह पता चलता है कि यह कम से कम 500 साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है।
इन राज्यों में हैं गुजिया के अलग-अलग नाम (What is the name of gujiya in other states?)
देशभर में गुजिया को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बिहार में गुजिया को पेड़किया के नाम से जानते हैं, तो महाराष्ट्र में करंजी और गुजरात में घुगरा के नाम से प्रचलित है।
किसने खाई पहली गुजिया
मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन बुंदेलखंड के लोगों ने अपने प्रिय भगवान कृष्ण को आटे की लोई को चाशनी में डुबोकर खिलाया था, जो उन्हें काफी पसंद आई थी। तभी से होली के दिन गुजिया बनाने की परंपरा शुरू हो गई।
यह भी पढे़ें..
Holi 2024: होलिका दहन पर भ्रदा का साया, आज इस शुभ-मुहूर्त में जलेगी होली