CHHATTISGARH: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य अनंत नायक ने एक आरोप लगाया है । उन्होंने कहा की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जनजातीय योद्धाओं के साथ इतिहास में न्याय नहीं किया गया है।
बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में स्थित शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में मंगलवार को ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों के योगदान’ विषय पर आयोजित सेमीनार में नायक ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। उनके योगदान को इतिहास में जैसा स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। इतिहास में उनके बलिदान का जिक्र बहुत कम है यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जनजाति समाज के नायकों के बलिदान को हर कोई जाने, इसके लिए हमें साझा प्रयास करना होगा।’’ नायक ने कहा कि जनजाति समाज आज तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन एक बड़ा वर्ग आज भी पिछड़ा हुआ है जिसके विकास के लिए भी हमें आगे आना होगा और समाज के प्रबुद्ध वर्ग को इस दिशा में पहल करनी होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस. के. सिंह ने कहा कि बस्तर के परिदृष्य में अगर बात करें तो यहां शहीद गुंडाधुर और शहीद झाड़ा सिरहा जैसे बलिदानी हुए। हमें उनके बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए और इससे अपनी युवा पीढ़ी को भी अवगत करवाना चाहिए।
वहीं एटीएमएन विश्वविद्यालय नागपुर के प्रोफेसर शामराव कुरेटी ने कहा कि देश की आजादी में जितना योगदान समाज के बाकी लोगों का है, उतना ही योगदान जनजाति समुदाय का भी है। देश में आजादी की लड़ाई के इतिहास में कई ऐसे योद्धा हुए जिनके बलिदान को आज हम नमन कर रहे हैं। वीर गुंडाधुर और झाड़ा सिरहा ने बस्तर में जो विद्रोह किया उसे हम आज भी याद करते हैं। उनके योगदान को हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहिए। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग देशभर के 125 विश्वविद्यालय के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान विषय पर कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
इस श्रृंखला के तहत 23 सितंबर से बस्तर स्थित शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में कार्यक्रम की शुरुआत हुई।