जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट। Hinglaj Mata Mandir: जिले के गिरोला गांव में स्थित हिंगलाज माता मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है देश का विभाजन होने से पहले बलूचिस्तान के हिंगोल पर्वत पर हिंगलाज माता का शक्तिपीठ था।
लेकिन भारत और पाकिस्तान का बटवारा होने के बाद बस्तर के लोग अपनी आराध्य देवी को वहां से वापस भारत लाने में सफल रहे है। साथ ही गिरोला में विराजमान हिंगलाज मांई बस्तर के कई गांवों में पूजी जाती हैं।
मुसलमान भी पूजते हैं
कहा जाता है कि पाकिस्तान के मुसलमान भी हिंगलाज माता को पूजते हैं। बस्तर के अलावा राजस्थान और ओड़िशा के लोग भी हिंगलाज माता को अपनी आराध्य देवी मानते हैं।
250 जगहों पर है मंदिर
बता दें कि बस्तर के जुगानीकलार, बेड़ाउमरगांव और बेड़ागांव होते हुए गिरोला पहुंचे भक्तों ने एक कच्चे मकान में हिंगलाज माई की प्रतिमा स्थापित की थी। इसके बाद बेड़ागांव समेत बस्तर में लगभग 250 जगहों पर हिंगलाज माई के मंदिर बनाए गए हैं।
देवी के प्रति बस्तर और ओड़िशा के लोगों की आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जितने मंदिर हिंगलाज माता के हैं, उतने दंतेश्वरी माई के नहीं हैं।
सीमावर्ती प्रांत ओड़िशा में भी कई जगहों पर माता का मंदिर बन चुका है। जहां लोगों की काफी भीड़ रहती है।
नवरात्रि में रहती है भीड़
बस्तर में रहने वाले सिंध प्रांत के लोग की भी माता के प्रति गहरी आस्था हैं और हर साल नवरात्रि में काफी संख्या में लोग दर्शन करने गिरोला गांव पहुंचते हैं।
छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की सीमा पर बसे गिरोला गांव की पहचान माता हिंगलाज देवी से ही है।
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