नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि हिंदी भारत की क्षेत्रीय भाषाओं की सखी है तथा सभी भाषाओं का प्रचार करना और उन्हें बढ़ावा देना चाहिए। हिंदी दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने माता-पिता से अपील की कि बच्चे चाहे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते हों लेकिन वे घर पर उनसे मातृ भाषा में बात करें, वरना बच्चे अपनी जड़ों से दूर हो जाएंगे।
आज के दिन हमें ये मूल्यांकन करना चाहिए कि हमने देश की राजभाषा व स्थानीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए क्या किया।
देश में एक समय ऐसा आया जब लगता था कि भारत भाषा की लड़ाई हार जाएगा। लेकिन भारत झुकने वाला नहीं है, भारत सदियों तक अपनी राजभाषा व स्थानीय भाषाओं को संजोकर रखेगा। pic.twitter.com/qlBVjmMMMp
— Amit Shah (@AmitShah) September 14, 2021
उन्होंने कहा, हिंदी किसी भी क्षेत्रीय भाषा से अलग नहीं है। हिंदी सभी भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं की ‘सखी’ है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय क्षेत्रीय भाषाएं हिंदी की पूरक हैं और उसे पूर्ण करती है तथा सभी क्षेत्रीय भाषाओं का प्रचार करना तथा उन्हें बढ़ावा देना चाहिए।
प्रधानमंत्री @narendramodi जी ने नई शिक्षा नीति में राजभाषा व सभी भारतीय भाषाओं को समाहित कर इनके संरक्षण व संवर्धन के लिए बच्चों की पाँचवी तक की शिक्षा उनकी मातृभाषा में कराने का विशेष आग्रह किया है। साथ ही तकनीकी पाठ्यक्रमों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद भी किया जा रहा है। pic.twitter.com/mpbG7ufUsL
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गृह मंत्री ने कहा कि 2014 के बाद से ही संसद में और सांसद अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोल रहे हैं और उनकी कही बातों का प्रति शब्द अंग्रेजी और हिंदी में अनुवाद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे जन प्रतिनिधियों को सर्वोच्च मंच पर अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याएं उठाने में मदद मिली है।
प्रधानमंत्री @narendramodi जी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना में आत्मनिर्भर शब्द सिर्फ उत्पादन व वाणिज्यिक व्यवस्थाओं के लिए नहीं है, हमें भाषा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनना है। pic.twitter.com/6Y1DfpxZSU
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शाह ने कहा कि लोगों को केवल उत्पादों के निर्माण में ही नहीं बल्कि भाषाओं के लिए भी ‘आत्म निर्भर’ होना चाहिए। उन्होंने सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने विचार साझा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा केवल हिंदी में बोलने का उदाहरण दिया।
कोई भी बाहर की भाषा हमें भारत की महान संस्कृति व गौरव से परिचित नहीं करा सकती, देश के वैचारिक पिंड से नहीं जोड़ सकती। सिर्फ मातृभाषा ही एक बच्चे को उसकी स्थानीय जड़ों से जोड़कर रख सकती है।
जिस दिन आप बच्चे को अपनी मातृभाषा के ज्ञान से वंचित करोगे वो अपनी जड़ों से कट जाएगा। pic.twitter.com/RCJdRpmtR6
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उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी को लेकर संकोच गुजरी बात है।’’ नयी शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें क्षेत्रीय और हिंदी भाषाओं को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं। महामारी की स्थिति से निपटने पर उन्होंने कहा कि भारत केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों और 130 करोड़ आबादी के सक्रिय सहयोग के कारण कम से कम नुकसान के साथ कोविड-19 की स्थिति से निपटने में कामयाब रहा है।
हर प्रदेश के इतिहास का अनुवाद व भावानुवाद राजभाषा में होना चाहिए जिससे सिर्फ एक राज्य नहीं पूरा देश इस महान इतिहास को पढ़ सके।
इसलिए गुरूवर टैगोर ने भी कहा था कि भारतीय संस्कृति एक विकसित सतदल कमल की तरह है, जिसकी प्रत्येक पंखुड़ी हमारी स्थानीय भाषा है और कमल राजभाषा है। pic.twitter.com/Lcyy7oe9SM
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शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जब भी राष्ट्र को संबोधित किया तो उन्होंने सभी पक्षकारों डॉक्टरों, विशेषज्ञों तथा अन्य से हिंदी में बात की जिससे संदेश जमीनी स्तर तक पहुंचा।
जो लोग कहते हैं कि हमारी मातृभाषा और राजभाषा व्यक्तिव के विकास में बाधक हैं, मैं उनको कहना चाहता हूँ कि ज्ञान की अभिव्यक्ति का मातृभाषा से अच्छा माध्यम कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। pic.twitter.com/GZnM0n1AqC
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