नई दिल्ली। हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश की थी। आजादी के बाद वर्ष 1949 में 14 सितंबर के दिन ही हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। यही कारण है कि हर साल इस दिन को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
भारत के अलावा इन देशों में भी बोली जाती है हिंदी
मालूम हो कि विश्व के करीब 54 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। इसमें से 46 करोड़ लोग भारत में निवास करते हैं। जबकि भारत के अलावा नेपाल, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, फिजी, मॉरीशस, सिंगापुर, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश में भी हिंदी भाषा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
देश के सामने राजभाषा चुनने की बड़ी चुनौती थी
अंग्रेजों के गुलामी से आजाद होने के बाद देश के सामने एक राजभाषा को चुनने की बड़ी चुनौती थी। क्योंकि भारत हमेशा से विविधताओं का देश रहा है, यहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है। ऐसे में राष्ट्रभाषा किसे चुना जाए ये बड़ा प्रश्न था। ऐसे में काफी विचार के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में चुन लिया गया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया।
कई राज्यों ने किया था विरोध
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का ऐलान किया। हालांकि, पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। हिंदी को राजभाषा चुने जाने के बाद कई राज्यों ने इसका विरोध भी किया। गैर-हिंदी भाषी राज्यों ने इसका इतना विरोध किया है कि दबाव में अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा।
मालूम हो कि तमिलनाडु में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे भड़क गए थे। लेकिन आज हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है।