Himachal Economic Crisis: भारत देश का घूमने के लिए सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला राज्य हिमाचल प्रदेश इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स का वेतन और पेंशन सितंबर महीने की 2 तारीख को भी नहीं मिली है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान की 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
इससे पहले राज्य में ऐसी स्थिति नहीं हुई है। ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों का बेतन नए शुरू हुए महीने के दो दिन बाद भी खाते में नहीं आया है। आइए हम आपको इसकी वजह के बारे में बताते हैं।
राज्य पर है इतना कर्ज
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा देखा गया है कि जब राज्य के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई है। राज्य में मौजूदा आर्थिक संकट के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनर्स के जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है। इस कर्ज के बोझ ने राज्य की वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर कमजोर कर दिया है। जिसके कारण राज्य सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की राशि देना बाकि है।
सरकार ने लिया फैसला
हिमाचल प्रदेश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार ने बीते दिनों बड़ा फैसला लिया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन 2 महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। सीएम सुक्खू का कहना है कि चूंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वो 2 महीने के लिए अपना और अपने मंत्रियों का वेतन-भत्ता छोड़ रहे हैं। विधायकों से मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हो सके तो दो महीना एडजस्ट कर लीजिए। अभी वेतन-भत्ता मत लीजिए, आगे देख लीजिएगा।
प्रदेश को है इतने रुपयों की जरूरत
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो हिमाचल प्रदेश को हर महीने सैलरी और पेंशन के लिए 2000 करोड़ रुपए लगते हैं। . इसमें से 1200 करोड़ वेतन के तौर और 800 करोड़ पेंशन के तौर पर दिए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश की ट्रेजरी में हर माह 6 तारीख को 520 करोड़ रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट केंद्र से आता है। इसके अलावा अपना टैक्स और नॉन टैक्स रिवेन्यू 10 तारीख के आसपास जमा होता है। इसके साथ-साथ राज्य सरकार की ओवरड्राफ्ट लिमिट भी 750 करोड़ रुपए के लगभग है। लेकिन इस ओवरड्राफ्ट लिमिट से राज्य का काम नहीं चल सकता है, क्योंकि सैलरी और पेंशन के लिए 2 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है।
यह भी पढ़ें- Anti Rape Bill: पश्चिम बंगाल विधानसभा से पास में हो सकता है एंटी रेप बिल, महिलाओं की सुरक्षा के लिए होगा खास!