What is Hyper Sensitivity: आजकल “हाइपर सेंसटिव” शब्द बहुत ही ज्यादा ट्रेंडिंग है. इस शब्द का अर्थ अगर हम अलग-अलग समझें तो हाइपर मतलब ‘अति’ और सेंसटिव मतलब ‘संवेदनशील’ होता है. यानी हाइपर सेंसटिव व्यक्ति वह होता है जिसे भावनात्मक और शारीरिक उत्तेजनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता होती है।
इसका मतलब है कि वे छोटे से छोटे बदलावों, जैसे किसी की आवाज़, चेहरे के हाव-भाव, या किसी कमरे के तापमान को भी ज्यादा तीव्रता से महसूस कर सकते हैं। ऐसे लोग नकारात्मक भावनाओं, आलोचना, या तनावपूर्ण परिस्थितियों में अधिक आसानी से प्रभावित होते हैं।
क्या यह एक बीमारी है?
कई लोग यह मान सकते हैं कि हाइपर सेंसटिव होना एक मानसिक बीमारी है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है। हाइपर सेंसटिविटी कोई मानसिक विकार नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्तित्व का लक्षण है।
इसे “Highly Sensitive Person” (HSP) की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि, हाइपर सेंसटिव व्यक्तियों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की संभावना अधिक होती है, जैसे कि चिंता, अवसाद, या तनाव का बहुत ज्यादा अनुभव।
हाइपर सेंसटिव होने के कारण
इस संवेदनशीलता के कई कारण हो सकते हैं। मुख्य कारणों (High Sensitivity Causes) में आर्गेनिक और जेनेटिक शामिल हो सकते हैं। कुछ लोग जन्म से ही ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा, बचपन के अनुभव, इमोशनल ट्रॉमा, या सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी इसे प्रभावित कर सकते हैं।
मस्तिष्क के कुछ हिस्से, जैसे कि ऐमिग्डाला, जो भावनाओं और डर को नियंत्रित करता है, हाइपर सेंसटिव लोगों में अधिक सक्रिय होते हैं। इसके चलते वे छोटी से छोटी बातों पर अधिक गहराई से रिएक्शन देते हैं।
क्या यह केवल मन का भ्रम है?
यह कहना गलत होगा कि हाइपर सेंसटिविटी केवल मन का भ्रम (High Sensitivity Symptoms) है। यह एक वास्तविक अनुभव है, जिसे व्यक्ति शारीरिक और भावनात्मक रूप से महसूस करता है।
हालांकि, कुछ मामलों में अत्यधिक संवेदनशीलता को नियंत्रण में लाने के लिए मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर काम करना आवश्यक हो सकता है।
यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हाइपर सेंसटिविटी का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति कमजोर या असामान्य है, बल्कि यह उसकी समझ और अनुभव का हिस्सा है।
हाइपर सेंसटिव से कैसे बचें
हाई सेंसिटिविटी को कम करने के लिए कुछ सरल उपायों को अपनाया जा सकता है। सबसे पहले, नियमित मेडिटेशन और प्राणायाम को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं, जिससे मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
इसके अलावा, अपनी दिनचर्या में सकारात्मक गतिविधियों, जैसे कि योग, व्यायाम, या प्रकृति के बीच समय बिताने को शामिल करें। जब भी आपको तनाव या भावनात्मक दबाव महसूस हो, तो थोड़ी देर के लिए खुद को उस स्थिति से दूर रखें और गहरी सांस लें।
खुद को व्यस्त और प्रोडक्टिव रखने के लिए हफ्ते में कुछ घंटे पसंदीदा काम में बिताएं। साथ ही, ऐसे लोगों के संपर्क में रहें जो आपको समझते हैं और पॉजिटिव ऊर्जा देते हैं।
ध्यान रखें कि पूरी नींद लेना और संतुलित आहार भी मानसिक स्थिरता में मदद करता है, जिससे संवेदनशीलता पर काबू पाया जा सकता है।
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