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Vyapam Scam Ajay Goenka: व्यापमं घोटाले मामले में चिरायु मेडिकल कॉलेज के डॉ. गोयनका बरी, हाई कोर्ट ने निरस्त की एफआईआर

Vyapam Scam Ajay Goenka: हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने डॉ. अजय गोयनका को व्यापमं घोटाले के आरोपों से बरी कर दिया है।

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Rahul Sharma
Vyapam Scam Ajay Goenka: व्यापमं घोटाले मामले में चिरायु मेडिकल कॉलेज के डॉ. गोयनका बरी, हाई कोर्ट ने निरस्त की एफआईआर

   हाइलाइट्स

  • चिरायु अस्पताल के डॉ. अजय गोयनका को बड़ी राहत
  • कोर्ट ने माना एसआईटी और सीबीआई गलत आरोपी बनाया
  • वर्ष 2011 में मेडिकल कॉलेज में प्रवेश से जुड़ा हुआ है व्यापमं घोटाला
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Vyapam Scam Ajay Goenka: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं कांड के एक मामले में भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज के डॉ. अजय गोयनका बरी हो गए हैं।

उनके (Vyapam Scam Ajay Goenka) खिलाफ दर्ज किए गए प्रकरण की एफआईआर को हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस रोहित आर्या व जस्टिस बीके द्विवेदी ने निरस्त कर दिया है।

   एफआईआर निरस्त करने का यह रहा आधार

एडवोकेट संजय शुक्ला के अनुसार एसआईटी और सीबीआई ने कार्रवाई में डॉ. गोयनका (Vyapam Scam Ajay Goenka) को गलत आरोपी बना लिया था।

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उनके खिलाफ 2020 में एफआईआर हुई थी। वे मेडिकल कॉलेज का संचालन करने वाली समिति में सचिव थे और प्रवेश को लेकर उनकी भूमिका नहीं थी। प्रवेश कमेटी देती थी, इसलिए एफआईआर निरस्त की गई।

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   सरकारी कोटे की सीट बेचने के थे आरोप

सीबीआई की चार्ज शीट में सरकारी कोटे की सीट को 50 लाख रुपये तक बेचने के आरोप लगे थे। आरोप यह था कि चिरायु अस्पताल के संचालक (Vyapam Scam Ajay Goenka) ने एडमिशन की लास्ट डेट तक सीट को भरा दिखाया।

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तारीख निकलने के बाद डमी कैंडिडेट ने सीट को सरेंडर किया और फिर उस सीट पर मनमाफिक पैसा लेकर सीट को भरा गया।

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   क्या है व्यापमं घोटाला

व्यापमं घोटाला वर्ष 2011 की मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिये जरूरी पीएमटी यानी प्री मेडिकल टेस्ट परीक्षा से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले में 2000 करोड़ से ज्यादा का लेनदेन हुआ।

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अनुमान है कि करीब 5000 से ज्यादा छात्र इससे प्रभावित हुए। उनका कैरियर तबाह हो गया। पुलिस ने घूस देने वाले 500 अभिभावक सहित लगभग 2000 आरोपियों को सूचीबद्ध किया।

गवाहों के अनुसार एमबीबीएस की एक सीट के बदले 40 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक वसूले गए। वीवीआईपी स्तर के लोगों के परिवारजनों को मात्र 40 लाख रुपए में सीट दी जाती थी।

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