मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए संभागयुक्त और जिला कलेक्टर की जिला बदर की कार्यवाही को अवैध मानते हुए सरकार पर 25000 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही जुर्माने की राशि याचिकर्ता को देने के आदेश दिए हैं |
क्या था मामला
दरअसल याचिककर्ता छिंदवाड़ा निवासी भूरा कौरव के ऊपर साल 2008 से 2023 के बीच आईपीसी की धाराओं के तहत 14 अपराधिक तथा सीआरपीसी की धारा 110 के तहत तीन प्रकरण हुए थे।
पांच अपराधिक प्रकरण जुआ एक्ट के तहत दर्ज हुए थे। उसके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई हुई थी पीड़ित अधिकांश मामले में दोषमुक्त हो गया था।
लेकिन इसके बाबजूद कलेक्टर और संभागायुक्त ने मनमाने तरीके से जिले बदर की कार्रवाई के आदेश दे दिए ।
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पिछले साल अक्टूबर में जारी किया गया था आदेश
दोषमुक्त होने के बाबजूद संभागायुक्त और कलेक्टर ने भूरा कौरव के खिलाफ पिछले साल अक्टूबर महीने में एक प्रशासनिक मामले के लंबित बताते हुए जिले बदर के आदेश दिए थे।
जिसके खिलाफ उसने उसने संभागायुक्त जबलपुर के समक्ष अपील दायर की थी। जिसे खारिज कर दिया गया था।
इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कलेक्टर और संभागआयुक्त के आदेश को मनमाना पाया।
आदेश में एकलपीठ ने कहा
मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 के दिये प्रावधानों का पालन नहीं करते हुए विधि विरुद्ध आदेश जारी किये है।एकलपीठ ने जिला बदर के आदेश को खारिज किया साथ ही याचिकाकर्ता को 25000 रुपए मुआवजे के रूप में देने को कहा।
क्या होती जिला बदर की कार्यवाही
जिला बदर से मतलब वह प्रशासनिक कार्यवाही है जिसमें आपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त व्यक्तियों को कुछ निर्धारित समय के लिए जिला से बाहर कर दिया जाता है. यह कार्यवाही जिला के वरीय अधिकारियों के द्वारा किया जाता हैं ।
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