हाइलाइट्स
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पर्चियों की काउंटिंग में मानवीय गलतियां संभव
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हर चीज पर संदेह नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
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मॉक पोल में दर्ज था बीजेपी को एक वोट ज्यादा
EVM VVPAT Case: सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपैट मशीन को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई। गुरुवार को हुई इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम-वीवीपैट मशीन के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है।
यह एक फर्मवेयर है। यानी कि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का फर्मवेयर है। इसमें बदलाव संभव नहीं है। वहीं चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी की वीवीपैट (EVM VVPAT Case) की पर्चियों को यदि हम मतदाता को देते हैं तो इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं कर सकते। याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की कोई आवश्यकता नहीं है।
वोटर बैलट बॉक्स में डाले वीवीपैट स्लिप
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रकिया की अपनी गरिमा होती है। इस पर किसी को भी शंका नहीं होना चाहिए, इसके लिए जो कदम उठाए जाने थे, वह नहीं उठाए।
याचिकाकर्ता के वकील निजाम पाशा ने अपनी दलील में कहा कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT स्लिप बैलट बॉक्स (EVM VVPAT Case) में स्वयं डाले। इस पर जस्टिस खन्ना ने सवाल किया कि इससे क्या वोटर की निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा ? इस पर वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि वोटर की निजता से जरूरी उसका मत देने का अधिकार है।
वीवीपैट की लाइट जलती रहे
सुनवाई के दौरान एक और याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सभी पर्चियों (EVM VVPAT Case) के मिलान की सूरत में चुनाव आयोग काउंटिंग में 12-13 दिन लगने की बात कह रहा है, यह दलील सही नहीं है।
ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, यदि यह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन वोटर आसानी से देख सकता है।
मैग्जीन में छपी थी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम (EVM VVPAT Case) से संबंधित जानकारी चुनाव आयोग ने देनी शुरू की। तभी प्रशांत भूषण ने कोर्ट को जानकारी दी कि केरल के कासरगोड में मॉक पोल किया गया था।
जहां चार ईवीएम और वीवीपैट में भाजपा के लिए एक वोट ज्यादा दर्ज हो रहा था। इसकी रिपोर्ट एक मैग्जीन ने छापी थी।
चुनाव आयोग को दिए ये निर्देश
जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से वीवीपैट (EVM VVPAT Case) में गड़बड़ी के इस आरोप को क्रॉसचेक करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि EVM के साथ छेड़छाड़ न हो सके, ये सुनिश्चित करने आपकी ओर से क्या प्रकिया अपनाई जा रही है? याचिकाकर्ताओं ने पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए कहा कि आयोग उस पर भी अपना रुख साफ करें।
चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को जानकारी दी कि ईवीएम (EVM VVPAT Case) प्रणाली में तीन यूनिट होते हैं, बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपैट।
चुनाव आयोग ने बताया कि कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है। यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह वीवीपैट (EVM VVPAT Case) के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है।
प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है। मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जांच की जाती है और वहां इंजीनियर भी उपस्थित रहते हैं।
फर्मवेयर को नहीं बदला जा सकता
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ईवीएम-वीवीपैट (EVM VVPAT Case) मशीन में कोई बदलाव संभव नहीं है। यह एक फर्मवेयर है, यानी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है।
इसमें बिल्कुल भी बदलाव नहीं किया जा सकता। पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम सुरक्षित रखी जाती है।
इस दौरान सभी राजनीतिक दलों के सदस्य उपस्थित रहते हैं, उनकी मौजूदगी में ही स्ट्रांग रूम को लॉक किया जाता है।
चुनाव आयोग से हुए सवाल जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या बैलेट यूनिट में स्टोरेज डेटा और VVPAT पर्चियों के बीच कोई मिसमैच का मामला है ?
ECI ने कहा- अभी तक हमने 4 करोड़ से ज्यादा VVPAT की काउ़टिंग की है। अब तक एक भी मिसमैच नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- ईवीएम में बीप की आवाज कब आती है ?
ECI ने कहा- जब कंट्रोल यूनिट द्वारा वोट रजिस्टर हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- कंट्रोल यूनिट VVPAT को कमांड देता है और रजिस्टर होते ही बीप की आवाज आती है ?
ECI ने कहा- बीप स्लिप पर निर्भर है, एक सेंसर है जो स्लिप गिरने को रिकॉर्ड करता है।
आधार गलत जानकारी पर आधारित
वीवीपैट (EVM VVPAT Case) की 100% पर्चियों की गिनती की मांग वाली याचिका पर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट में न्यूज रिपोर्ट दिखाई थी कि मॉक ड्रिल के दौरान एक-एक ज्यादा वोट BJP के पक्ष में पाया गया था।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा। चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग (EVM VVPAT Case) के दौरान EVM के द्वारा बीजेपी के पक्ष में वोट रिकॉर्ड दर्ज होने की छपी खबरें झूठी हैं।
चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इसी तरह की मांग को लेकर याचिकाएं देशभर के हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। सभी हाईकोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया है।
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का आधार गलत जानकारी पर आधारित है। ईवीएम (EVM VVPAT Case) मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं की याचिका जुर्माने के साथ खारिज होना चाहिए।
ईवीएम मशीन नहीं हो सकती हैक
चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम (EVM VVPAT Case) एक स्वतंत्र मशीन है। इसको हैक या इसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना रहती है, लेकिन मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है। जहां पर भी गड़बड़ी थी, वहां मॉक रन का डेटा नहीं हटाया है, इसका ध्यान रखा है।
समय की मांग पर्चियों का हो मिलान
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता मतदाताओं की पसंद और भरोसे को मजाक बना रहे हैं। एक याचिकाकर्ता साबू स्टीफन ने कहा कि डिजिटल डेटा में हेरफेर हो सकता है। कागज़ की पर्चियों (EVM VVPAT Case) में हेरफेर नहीं हो सकता।
दोनों की समान रूप से गणना होनी चाहिए। निष्कर्ष के बाद, दोनों का मिलान किया जाए। विसंगति आने पर कागज की पर्चियों को ही मान्य किया जाना चाहिए। 100% मिलान समय की मांग है।
हमें संदेह है, इसलिए उजागर कर रहे
याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि हम चुनाव आयोग के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगा रहे। हम जो उजागर कर रहे हैं वह यह है कि हमें संदेह है, और ऐसे संदेह के कारण भी हैं।
याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि चुनाव आयोग के वकील कहते हैं कि केवल एक ही बार गड़बड़ी हुई है, जिस पर हमने ध्यान दिलाया है। जबकि चुनाव आयोग के प्रतिनिधि ऐसा नहीं कहते।
आयोग ये स्वीकार किया है कि मानवीय त्रुटियां है। एक याचिकाकर्ता के वकील संतोष पॉल ने कहा कि चिंता यह है कि सिस्टम में विश्वास होना चाहिए। विकसित देशों ने इस सिस्टम को छोड़ा है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि ये मत कहिए कि विदेश भारत से ज्यादा विकसित हैं।