भोपाल। MP News: राजधानी में हुई गैस त्रासदी मामले में शनिवार को जिला न्यायालय में सुनवाई हुई। गैस त्रासदी मामले में करीब साढ़े 3 घंटे तक बहस चली। पूरे मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 18 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रखा है। इसके बाद ही कोर्ट अपना फैसला जारी करेगा। लंबे समय से गैस त्रासदी के पीड़ितों को कोर्ट से न्याय की उम्मीद है।
इस (MP News) हादसे के 39 साल बीत जाने के बाद भी आज तक मामला चल रहा था। इस मामले की सुनवाई शनिवार को भोपाल के जिला न्यायालय में हुई। इसके बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
अभी तक नहीं मिली सजा
विश्व की सबसे बड़े औद्योगिक हादसे के लिए जिम्मेदार न तो अभी तक कोर्ट में पेश हुए हैं। न ही इन विदेशी अभियुक्त,विदेशी कंपनी को सजा मिली है।
गैस कांड पर एक नजर
भोपाल (MP News) स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी में 3 दिसम्बर 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई थी। जिसमें स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम दिया गया।
इस बड़ी त्रासदी में 15000 से अधिक लोगों की जान गई थी। तो वहीं कई लोग शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए थे।
भोपाल गैस कांड में मिथाइलआइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था।
हालांकि मृतकों का आधिकारिक आंकड़ा अभी कहीं भी मौजूद नहीं है। जिसके चलते अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है।
पहले इतने थे मृतक
फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2259 थी। मध्यप्रदेश (MP News) की तत्कालीन सरकार ने 3787 लोगों की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि 8 हजार लोगों की मौत तो दो सप्ताह के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8 हजार लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे।
सरकार शपथ पत्र में क्या
2006 में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 5 लाख 58 हजार 125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे तो वहीं आंशिक तौर पर प्रभावित होने वालों की संख्या लगभग 38 हजार 478 थी। इतना ही नहीं 3 हजार 900 लोग बुरी तरह प्रभावित होकर अपंगता के शिकार हुए थे।
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