बंसल न्यूज.भोपाल। Health News हमारी रसोई में उपयोग होने वाले कई तरह के तेल (Vegetable Oil) या वनस्पति तेल को गर्म करने का भी एक तरीका होता है। यदि इसे फालो नहीं किया गया तो यह हमारी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक हर तरह के तेल को एक अलग टैंपरेचर तक ही गर्म किया जाना चहिए। इससे ज्यादा गर्म करने पर उसमें एचएनई पदार्थ बनने शुरू हो जाते हैं। वहीं हम तेल को जितनी ज्यादा बार गर्म करेंगे, उतनी ही अधिक मात्रा में इसमें एचएनई पदार्थों की मात्रा बढ़ती जाती है, जिससे खतरनाक एसिड निर्माण होता है। यह हमारे शरीर के लिए घातक साबित होता है। एक कथित जानकारी के मुताबिक आजकल मार्केट में मिलने वाले तेल को यदि 200 डिग्री से ज्यादा गर्म किया जाए तो वह जहर बन सकता है। यानी तेल को हमें आधे घंटे से ज्यादा गर्म नहीं रखना चाहिए।
यह है तेल गर्म करने की विधि
कढ़ाही में तेल डालने के बाद उसे मीडियम आंच पर ही गर्म करना चाहिए, जिससे तेल एक समान रूप में गर्म हो। 3 से 4 मिनट का समय तेल गर्म होने के लिए उचित माना जाता है। किसी भी स्थिति में आंच इतनी तेज नहीं होनी चाहिए की तेल से धुआं निकलने लगे। तेल की महक को भी कम करने के लिए तेल में थोड़ा सा नमक डाल सकते हैं। वहीं तेल गर्म होने के बाद कम-कम चीजें फ्राइ करें। एक साथ कई चीजें अधिक मात्रा में फ्राइ नहीं करनी चाहिए।
कैसे करें उपयोग
कभी भी खाना बनने के बाद ऊपर से तेल न डालें। खाना बनाने समय जितने तेल का उपयोग किया है, वही रहने दें। वहीं एक बार उपयोग किए गए तेल को बार-बार उपयोग में न लाएं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करने से तेल में सैचुरेटेड फैट, मोनोसैचुरेटेड फैट और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकता है। जब हम बचे हुए तेल को फिर से गर्म करते हैं तो तेल के कैमिकल स्ट्रक्चर में बदलाव आने से यह शरीर के लिए नुकसानदेह बन जाता है। तेल में फैट माल्युक्यूल में बदलाव होने से ट्रांस फैट बढ़ जाता है जो कैंसर जैसी बीमारियां उत्पन्न कर सकता है।
यह भी होता है बदलाव
तेल जितनी बार गर्म होकर उबलता है, उसमें उतनी ही बार कैंसर को उत्पन्न करने वाले कारक बनते हैं। वहीं बार-बार तेल गर्म करने पर उसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स आ जाते हैं, जिसके बाद तेल की खुशबू भी आनी बंद हो जाती है।
यह बीमारी भी हो सकती है
ऐसे तेल के उपयोग से बनाए गए खाने से कैंसर, कॉलेस्ट्रोल, हृदय रोग, अल्जाइमर, एसिडिटी, पार्किसंस जैसी अन्य बीमारियां घेर सकती हैं। यदि उपयोग में लाने के बाद तेल का रंग अधिक गाढ़ा लग रहा है तो उसे फेंक दें। यदि तेल का रंग अधिक नहीं बदला हुआ है तो तेल इस्तेमाल करने लायक कुछ हद तक सही है।
लाखों साल पहले ही बन गया था तेल
मिली जानकारी के मुताबिक लाखों वर्ष पहले जब इंसान ने आग जलाना सीखा, तभी खाना पकाने के लिए एनिमल फैट से खाद्य तेल बनाया गया। 1930 में हड़प्पा की खुदाई के दौरान तिल का तेल मिला। इसके बाद सरसों का तेल भी चलन में आया। इस दौर में पौधों से सरसों, मूंगफली, नारियल, मक्का, कैनोला, जैतून, कपास, पाम, सूरजमुखी, रेपसीड व तिल का तेल निकाला जाता है। वहीं ड्राई फ्रूट्स से बादाम, काजू, कद्दू के बीज, पिस्ता, अखरोट, पाइन नट का तेल बनता है। संतरा, अंगूर के बीज व नींबू से भी तेल निकाला जाता है।
सही मात्रा में खाएं तेल
एक शोध के मुताबिक हम हर साल 19 किलो खाने के तेल का सेवन कर लेते हैं। एक वयस्क व्यक्ति को हर दिन 2000 कैलोरी लेनी चाहिए। महिलाएं एक दिन में 5-6 चम्मच और पुरुष 6-7 चम्मच तेल का सेवन कर सकते हैं।
फ्राई और कुकिंग के लिए अलग हो तेल
सनफ्लावर, राइस ब्रान और सरसों तेल का प्रयोग कुछ तलने कि लिए कर सकते हैं। एक कथित जानकारी के मुताबिक इस तेल को ज्यादा गर्म करने से नुकसान नहीं होता। वहीं डेली कुकिंग के लिए सनफ्लावर ऑयल, सरसों तेल या राइस ब्रान ऑइल का उपयोग हम कर सकते हैं।