नई दिल्ली। भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ होमी जहांगीर भाभा की (Homi Jehangir Bhabha) आज जयंती है। कहा जाता है कि होमी जहांगीर भाभा ने कभी अमेरिका जैसे ताकतवर देश को सकते में डाल दिया था। दरअसल, उन्होंने एक बार कह दिया था कि वे डेढ़ साल के अंदर परमाणु बम बना सकते हैं। उस समय केवल दो देश अमेरिका और सोवियत संघ ही परमाणु बम की ताकत रखते थे। इससे अमेरिका घबरा गया था। आइए आज हम उन्हें उनकी जयंती पर याद करते हैं।
पिता चाहते थे बेटा इंजीनियर बने
होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता होर्मुसजी भाभा एक मशहूर वकील थे। होमी भाभा की शुरूआती पढ़ाई मुंबई के कैथरेडल एंड जॉन कैनन स्कूल में हुई थी। पिता चाहते थे कि बेटा आगे चलकर इंजीनियर बने। लेकिन होमी तो वैज्ञानिक बनना चाहते थे। बेटे की जिद के आगे पिता को झुकना पड़ा था। होमी का झुकाव शुरू से ही परमाणु भौतिकी की ओर था। उन्होने साल 1933 में न्यूक्लियर फिजिक्स में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी और इसके बाद कैम्ब्रिज में कार्य करने लगे थे।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया
एक बार होमी जहांगीर भाभा छुट्टियां मनाने भारत आए थे। इसी दौरान प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया और ऐसे में वे इंग्लैंड वापस नहीं गए। उन्होंने सोचा कि क्यों न भारत में ही इस दिशा में काम किया जाए। इसके बाद साल 1941 में उन्हें रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया। साथ ही उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में रीडर का पदभार भी संभाला। उस समय उसके प्रमुख नोबेल विजेता सीवी रमन थे। 1945 में उन्होंने जेआरडी टाटा की मदद से मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेटल रिसर्च की स्थापना की और अगले साल इसके निदेशक बने। आजादी के बाद भाभा के प्रयासों से ही भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना हो सकी। डॉ भाभा ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
उन्हें परमाणु शक्ति कार्यक्रम का पिता भी कहा जाता है
भाभा हिंदुस्तान लौटने के बाद से ही देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का सपना देखते थे। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं को प्रेरित भी किया था। यही कारण है कि आजादी के बाद साल 1948 में प्रधानमंत्री नेहरूर ने डॉ भाभा को न्यूक्लियर प्रोग्राम का प्रमुख बनाया था। मालूम हो कि डॉ भाभा को भारत के परमाणु शक्ति कार्यक्रम का पिता भी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने बहुत कम मात्रा में उपलब्ध यूरेनियम की जगह थोरियम को परमाणु शक्ति कार्यक्रम में शामिल करने की पैरवी की थी।
पांच बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुए
होमी भाभा को पांच बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। वहीं साल 1954 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था। डॉ भाभा का मकसद भारत को परमाणु बम से सम्पन्न करना नहीं था। उन्होंने तो कहा था अगर इजाजत मिले तो वे डेढ़ साल में परमाणु बम बना सकते हैं। लेकिन उनका प्रमुख ध्यान भारत को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर होना था। 24 जनवरी 1966 में एक वायुयान दुर्घटना में डॉ होमी जहांगीर भाभा का निधन हो गया।