Unique Wedding: अब तक आपने धार्मिक रीति रिवाजो से कई विवाह देखे और सुने होंगें? लेकिन आज हम एक ऐसे अनोखे विवाह के बारे में बताएंगे जिसे आपने कभी नही देखा। हम जिस विवाह के बारे में बताने जा रहे है वो राष्टीय मानव कहे जाने वाले बैगा समुदाय से जुड़ा है।
दहेज प्रथा कोसों दूर
बता दें कि बैगा समुदाय में शादी की शुरूआत रोमांस से होती हैं और विवाह में जाकर खत्म। इस अनोखी परंपरा में दहेज प्रथा कोसों दूर हैं जिसे दसेरा नाच भी कजा जाता है। आदिवासी बाहुल्य छेत्र के बैगा चक इलाको मे इस तरह के विवाह देखे जा सकते हैं जिसकी दशहरा के बाद से शुरूआत होती हैं इसलिए इसे दसेरा नाच क़हा जाता हैं। दरअसल दसेरा नाच एक विवाह क़ी शुरुवात कहीं जा सकती हैं और यह केवल दो दिनो क़ा होता हैं।
लड़का हो लड़की एक दूसरे क़ा परिचय लेने एक दूसरे के गाँव जाते हैं। परिचय लेनें एक गाँव के लड़के पक्ष क़ी टोली दूसरे गाँव रात मे पहुंचती हैं। उस गाँव मे सारी तैयारियां कर ली जाती हैं। बैगा समुदाय क़ी लड़कियां अपने पारंपरिक वेशभूषा में सजती संवरती हैं। यह एक ऐसी वेशभूषा होती हैं जो क़ी बहुत कम देखने को मिलता हैं। जिस गाँव मे दसेरा नाच होता हैं उस दिन उस गाँव में चहल पहल बनी रहती हैं।
चूंकि ठंड क़ा समय होता हैं इस वजह से जगह जगह अलाव क़ी व्यवस्था क़ी जाती हैं फिर क्रम चालू होता हैं नृत्य गायन क़ा और ढोलक मांदर क़ी ताल पर सैला कर्मा गीत का। क्या नवजवान क्या बुजुर्ग, सभी नृत्य और गीत पर झूम उठते हैं और इसी दौरान लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद भी कर लेते हैं। यह क्रम रात भर चलता हैं। सुबह के वक्त लड़के लड़की एक नाले के पास पहुंचते हैं। एक ओर लड़का पक्ष तो दूसरी ओर लड़की पक्ष एक दूसरे के संबंधों को और अच्छे से जानने के लिऐ ददरिया गीत या उसे कह सकते हैं प्रेम गीत गाते हैं।
गीत संबंधों को मजबूती प्रदान करता हैं
क़हा जाता हैं यह गीत संबंधों को मजबूती प्रदान करता हैं। इन दो दिनो के अंदर ही लड़का लड़की पसंद कर लेते हैं और उनका विवाह परिवार क़ी रजामंदी से एक दिन विवाह को लिए तय कर दिया जाता हैं। अंत में बताते चलें कि बैगा समुदाय मे दसेरा नाच या कहे रोमांस के बाद विवाह दशहरा से लेकर होली के बीच ही होता हैं। हालांकि धीरे धीरे यह परंपरा लुप्त होती जा रही। इसे सहेजने के लिये ना ही प्रशासन औऱ ना ही समाज आगे आ रहा। अब आवश्यकता हैं इस परंपरा को सहेजने की।