Halal Certification: उत्तरप्रदेश में इन दिनों उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट को बैन करने की चर्चा सामने आई है जहां पर योगी सरकार का शक है कि, इस सर्टिफिकेशन से अवैध कमाई या यों कहें आतंकी संगठनों की फंडिग का सीधा कनेक्शन है। आखिर क्या होता है हलाल सर्टिफिकेट और किन उत्पादों पर जारी किया जाता है। क्या इसका बैन हो जाना सही है।
पनीर और शक्कर पर हलाल सर्टिफिकेट क्यों?
यहां पर हलाल सर्टिफिकेट दरअसल मीट पर जारी करना जहां पर कानून के तहत आता है लेकिन शाकाहारी प्रोडक्ट्स जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद आदि की बिक्री के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट दिए जाने को लेकर बवाल मच रहा है। इसे लेकर कोई सर्टिफिकेट की आावश्यकता नहीं है लेकिन इन प्रॉडक्ट्स को हलाल से जोड़ा जा रहा है। इसे लेकर सीएम योगी सख्त रवैया अपना रहे है।
इसे एक वर्ग विशेष के जरिए प्रचार-प्रसार के नजरिए से जोड़कर देखा जा रहा है।
इस मामले से हुई चर्चा तेज
आपको बताते चलें, बीते गुरुवार 16 नवंबर को लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई थी इसमें हलाल सर्टिफिकेट का हवाला देते हुए ऐशबाग के रहने वाले शैलेंद्र कुमार शर्मा ने एफआईआर कराई।
इस मामले में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई, जमीयत उलेमा मुंबई के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठी थी। इस मामले में हजरतगंज थाने के इन्चार्ज एसआई विक्रम सिंह ने बताया कि केस दर्ज कर लिया गया है। जिसके बाद जांच के बाद कार्रवाई की बात कही गई थी।
योगी सरकार ने अपनाया सख्त रुख
इस मामले के चर्चा में आने के बाद उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हलाल सर्टिफिकेट से जुड़े उत्पादों पर सख्त नियम बनाकर बैन लगाने की बात कही। इस दौरान सरकार ने सर्टिफिकेट के जरिए आतंकी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को फंडिंग की आशंका जाहिर की। जहां पर इस मामले पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
क्या होता है हलाल सर्टिफिकेट
यहां पर हलाल सर्टिफिकेट की बात की जाए तो, इसमें माना जाता है, खाने वाला प्रोडेक्ट शुद्ध है और इस्लामी कानून के अनुरूप तैयार किया गया है। इसमें यह सुनिश्चत किया जाता है, इसमें हराम सामग्री जैसे, उत्पाद में मरे हुए जानवर या पशु का कोई हिस्सा शामिल नहीं है। इसके बाद ही उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
देश में हलाल सर्टिफाइड प्रॉडक्ट में केवल मीट नहीं, स्नेक्स, मिठाइयों , अनाज, तेल, कॉस्मेटिक्स, साबून, शैम्पू, टूथपेस्ट, नेल पॉलिश, लिपस्टिक को भी हलाल प्रमाणपत्र दिया जाने लगा है।
भारत में कौन जारी करता है हलाल सर्टिफिकेट
भारत में, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) का सर्टिफिकेशन लगभग सभी खाद्य पदार्थों पर देखा जा सकता है, लेकिन हलाल सर्टिफिकेशन भारत के किसी खाद्य प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं होता है इसे भारत में जो इस्लाम के अनुयायियों के लिए खाद्य या उत्पादों के इस्तेमाल की अनुमति देता है वहीं इसे जारी करता है जो कोई संस्था या कंपनी होती है। भारत में ये कंपनियां मौजूद है।
1- हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड।
2- हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड।
3- जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र- जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक राज्य इकाई।
4- जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट।
क्या हलाल सर्टिफिकेट का है टेरर फंडिंग से नाता?
भारत में हलाल सर्टिफिकेट को जहां पर उत्पादों पर जारी किया जाता है इसमें सरकार का कोई रोल नहीं होता है। ऐसे में ये कंपनियां सरकार के किसी मत के बिना सर्टिफिकेट को जारी करती है। जाहिर सी बात है हलाल का कनेक्शन आतंकवाद को बढ़ाने या फंडिंग को करने के लिए किया जा सकता है।
मौजूदा समय में हलाल इकॉनामी का फायदा आतंकवादी संगठनों को भी मिल रहा है। इसमें हलाल कंपनियों के पूरे व्यापार की आय को पारदर्शी करने की मांग उठी है। इस सर्टिफिकेट को भारत ही नहीं दुनिया में बिना सरकार के अधिकरण जारी करने की अनुमति होती है। इसमें इस्लामिक शरियत कानून के हिसाब से हलाल के सर्टिफिकेट देती हैं।
क्या कहता है इस्लामिक शरीयत कानून
यहां पर इस कानून को स्पष्ट करते हुए बताते चलें, भारत में शरीयत से संबंधित 1937 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की स्थापनी की गई थी। इसके तहत मुसलमानों के सभी मामलों का निपटारा इस्लामिक कानून के तहत करने की बात की जाती है। इसमें मुसलमानों की शादी, तलाक, विरासत और विवाद के फैसले शामिल होते हैं।
क्या हलाल सर्टिफिकेट देना जरूरी है?
यहां पर हलाल सर्टिफिकेट की बात की जाए, उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट जारी करना एक तरह निर्यात के लिए आसान तरीका होता है। इसलिए देश में इस उत्पादों पर सर्टिफाइड किया जाता है। दुनिया के कई इस्लामिक देश ऐसे है जहां पर हलाल उत्पाद बेचने की ही अनुमति है। यह भी बता दें कि दुनियाभर के फूड मार्केट का लगभग 19% हलाल प्रोडक्ट्स हैं।
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