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Gwalior DIG Fined: हाईकोर्ट की टिप्पणी- हत्या के केस में एक पक्ष को लाभ पहुंचाने किया गलत काम, DIG पर 5 लाख का जुर्माना

Gwalior PHQ DIG Mayank Awasthi Murder Probe Case: ग्वालियर हाईकोर्ट ने पीएचक्यू के डीआईजी मयंक अवस्थी के खिलाफ विभागीय जांच और अवमानना की कार्रवाई के आदेश ​दिए हैं।

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sanjay warude
Gwalior High Court (1)

ग्वालियर हाईकोर्ट का फैसला।

Gwalior High Court PHQ DIG Mayank Awasthi DIG Fines: ग्वालियर हाईकोर्ट ने पीएचक्यू के डीआईजी मयंक अवस्थी (PHQ DIG Mayank Awasthi ) के खिलाफ विभागीय जांच और अवमानना की कार्रवाई के आदेश ​दिए हैं। डीआईजी पर हाईकोर्ट ने 5 लाख रुपए का जुर्मान भी लगाया है। जिसे डीआईजी को एक महीने के भीतर जमा करना होगा।

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लोकेशन भिंड की, केस डायरी में लिखा दतिया

दरअसल, दतिया जिले के दीपार थाने में वर्ष 2017 में 24 सितंबर को एक हत्या का केस दर्ज हुआ था। घटना के दिन मृतक, घायल और गवाह की लोकेशन भिंड (Bhind) जिले के अमायन की थी, लेकिन आरोपी मानवेंद्र गुर्जर ने आरोप लगाया था कि घटना तीन से चार दिन पहले की है। घटना को दतिया (Datiya) में दिखाया गया।

अंतिम तर्क में सामने आया लोकेशन सुरक्षित नहीं

न्यायालय (High Court) में पुलिस ने टावर लोकेशन (Tower location) सुरक्षित करने का पत्र पेश किया था। केस के अंतिम तर्क के दौरान जब टावर लोकेशन पेश करने की मांग कि तो पुलिस ने कहा कि टावर लोकेशन सुरक्षित नहीं की गई है। जिसके बाद मानवेंद्र गुर्जर का आवेदन खारिज कर दिया गया। फिर इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

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स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच के मौलिक अधिकारों का किया उल्लंघन

ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) की एकल पीठ ने मयंक अवस्थी की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी (Comment) की है। एकल पीठ ने कहा है कि वे एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए गलत तरीके से कार्य कर रहे थे। एक परिवार ने अपना सदस्य खो दिया, जबकि दूसरा पक्ष आजीवन कारावास (Life imprisonment) और मृत्युदंड (Death penalty) जैसे गंभीर मामलों का सामना कर रहा है। उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।

जुर्माना की राशि जीतने वाले पक्ष को देंगे

पीएचक्यू डीआईजी मयंक अवस्थी को एक महीने के भीतर प्रिसिंपल रजिस्ट्रार के यहां 5 लाख रुपए जमा करने होंगे। यह राशि उस पक्ष को दी जाएगी जो केस जीतेगा। इसके अलावा, यह आदेश मयंक अवस्थी की सर्विस बुक (Service book) में दर्ज किया जाएगा और उनके खिलाफ विभागीय जांच भी कराई जाएगी।

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