Gwalior MP News: मध्य प्रदेश के दतिया में रहने वाली एक 60 साल की महिला हुसना ने शरिया कानून को लेकर एमपी हाई कोर्ट (MP High Court) का दरवाजा खटखटाया है। हुसना बराबरी का हक पाने के लिए कोर्ट की चौखट पर पहुंची है।
आपको बता दें कि हुसना ने मुस्लिम पर्सनल लॉ 1937 (Sharia) को कोर्ट (MP High Court) में चुनौती देते हुए कानून को असंवैधानिक घोषित कर पिता की प्रॉपर्टी में से बेटी को बेटे के बराबर हिस्सा देने की मांग की है। याचिका में कहा है कि संविधान में समानता के हक के बावजूद शरिया एक्ट (Sharia) में बेटी से भेदभाव होता है। मामले में इंसाफ किया जाए।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 29, 2024
बेटी को मिले बेटे के बराबर हिस्सा- हुसना
पिता की प्रॉपर्टी में से जितना हिस्सा भाईयों को मिला, उसका आधा हिस्सा याची को मिला। जबकि नियम तो ये बोलता है कि बाई-बहन को बराबर हिस्सा मिलना चाहिए था। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में सुनवाई तय कर दी है।
जानें पूरा मामला
हुसना ने हाई कोर्ट (MP High Court) में बताया कि पिता की मौत के बाद भाई मजीद और रहीस खान दोनों ने अपना नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवा लिया। साल 2019 में उन्होंने नजूल दफ्तर (Nazul Office) में भाइयों के बराबर जमीन अपने नाम करवाने की बात कही। नजूल अफसर ने हुसना के पक्ष में निर्णय किया।
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दतिया कलेक्टर ने भाइयों की अपील की खारिज
वहीं भाइयों ने हुसना के आदेश के खिलाफ अपील की, जिसे दतिया कलेक्टर ने खारिज कर दिया। इसके बाद एडिशनल कमिश्नर के पास अपील दी गई। उन्होंन शरिया कानून (Sharia law) के मुताबिक, बहन को भाई के बराबर हिस्सा देने का आदेश दिया। आपको बता दें कि जमीन का कुल क्षेत्रफल 116 वर्गमीटर है।
याचिका में कुरान के हवाले से संपत्ति बांटने का भी किया उल्लेख
एडवोकेट प्रतीप विसोरिया (Advocate Pratip Visoria) के मुताबिक, याचिका में ये तर्क दिया गया है कि शरिया एक्ट अरब देशों में बना था। ये कानून भारत में रहने वाले मुस्लिमों पर ये लागू क्यों है? आजादी के बाद शरिया एक्ट (Sharia law)में परिवर्तन करने चाहिए थे, लेकिन नहीं किए गए।
हुसना ने हाई कोर्ट (MP High Court) में जो याचिका दायर की है, उसमें कुरान के हवाले से संपत्ति को बांटने का भी उल्लेख किया गया है। आजादी के बाद हिंदुओं के लिए उत्तराधिकार अधिनियम-1956 (Succession Act-1956) बनाया गया था, जबकि मुस्लिमों के लिए ऐसा कोई नया कानून नहीं आया।
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