हाइलाइट्स
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गोल्डन टॉवर के 2 पिलर और चटके
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प्रशासन ने अभी तक नहीं लिया एक्शन
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लोग यहां-वहां रहने को मजबूर
Gwalior Golden Tower: ग्वालियर के थाटीपुर में गोल्डन टॉवर (5 मंजिला मल्टी) का पिलर ध्वस्त होने से बिल्डिंग एक तरफ झुक गई, जिससे कई फ्लैटों में दरार आ गई। ये घटना 16 जुलाई 2024 को हुई थी, जब आधी रात को प्रशासन ने रेस्क्यू कर पूरी मल्टी को खाली कराया था।
मल्टी को लेकर खबर ये मिली है क दो पिलर और चटक गए हैं। इसके बावजूद भी प्रशासन ने बिल्डिंग के संबंध में कोई एक्शन नहीं लिया। बिल्डर मोहन बांदिल घटना के बाद एक बार भी लोगों से नहीं मिला। ऐसे में लोग दहशत में हैं और उनका कहना है कि वे बिल्डिंग में नहीं रहेंगे। उनका कहना है कि या तो हमें हमारे पैसे वापस दो या फिर नई बिल्डिंग दो।
ग्वालियर में गोल्डन टॉवर के 2 पिलर और चटके: प्रशासन ने नहीं लिया एक्शन, लोग यहां-वहां रहने को मजबूर, ये हैं मांग#MPNews #Gwalior #GoldenTower
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लोगों ने नगर निगम से की ये मांग
बिल्डिंग में रह रहे लोगों ने 26 जुलाई को नगर निगम के अधिकारियों से मुलाकात कर अपने पैसों की मांग की या फिर बदले में नई बिल्डिंग देने को कहा।
एडवोकेट एमपी सिंह के मुताबिक, ऐसी स्थिति में पीड़ित परिवार को कोर्ट रिफंड दिला सकता है, या फिर नए सिरे से बिल्डिंग बनाने के लिए आदेश दे सकता है। इसके साथ ही कोर्ट बिल्डर पर FIR के आदेश भी दे सकता है।
ठेकेदार ने बिल्डर के इशारे पर खानापूर्ति के लिए मल्टी को साधने के लिए 8 नए पिलर बनाए हैं, लेकिन उनकी क्वालिटी इतनी खराब है कि वह अभी से झड़ने लगे हैं। मल्टी में अंदर पुराने दो पिलर में और क्रेक आ गए हैं। इसके साथ ही हर पिलर में सीलन जैसी स्थिति है, जिस कारण लोगों में काफी दहशत है, उनका कहना है कि बिल्डिंग में रहेंगे तो अपनी मौत को दावत देंगे।
घटना के बाद एक बार भी नहीं आया बिल्डर
गोल्डन टॉवर में रहने वाले परिवारों का कहना है कि घटना के बाद से बिल्डर मोहन बांदिल एक बार भी मिलने नहीं आया। स्थानीय लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे रुपए वापस नहीं दिए या नई बिल्डिंग बनाकर नहीं दी तो हम हंगामा करेंगे। बिल्डर पर FIR दर्ज कराने SP ऑफिस का घेराव करेंगे।
बिल्डर की नेता, मंत्रियों से है सांठगांठ
गोल्डन टॉवर में रहने वाली शशि प्रभा के मुताबिक, बिल्डर मोहन बांदिल से यह फ्लैट साल 2016 में खरीदा था। इसके लिए हमने बैंक से 30 लाख रुपए में फ्लैट फाइनेंस कराया था, जिसका लगभग 20 लाख रुपए बकाया है।
बिल्डिंग के ध्वस्त होने के बाद 16 जुलाई से आज 10 दिन हो गए रिश्तेदारों के घर रहते हुए। बिल्डर मोहन बांदिल की नेता और मंत्रियों सांठगांठ है। बिल्डर का कहना है कि मैंने तो फ्लैट बेच दिए अब मैं कुछ नहीं कर सकता।
ऐसे में हम लोग कहां जाएंगे? हमारा तो पूरा घर ही उजड़ गया है। अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो हम अंतिम सांस तक बिल्डर पर मामला दर्ज कराने और सजा दिलाने के लिए लड़ेंगे। चाहे हमें आंदोलन ही क्यों न करना पड़े।
प्रशासन ने नहीं लिया कोई एक्शन
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरीके से बिल्डिंग को खाली कराया गया था, उससे ऐसा लग रहा था कि प्रशासन हरकत में आकर कोई एक्शन लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अभी तक प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया है और न ही कोई ठोस आश्वासन दिया। बिल्डर अपना फोन बंद करके बैठा है। हालांकि खानापूर्ति के लिए बिल्डिंग का मरम्मत का काम शुरू कर दिया है।
पूरे मामले को कुछ इस प्रकार से समझिए…
थाटीपुर स्थित नेहरू कॉलोनी में गोल्डन टॉवर के नाम से पांच मंजिला मल्टी है, जिसमें 27 फ्लैट हैं और सभी फ्लैट में लोग भी रह रहे थे। प्राइम लोकेशन की वजह से लोगों ने ऊंचे दाम पर फ्लैट खरीदे थे। 16 जुलाई की रात करीब 11 बजे गोल्डर टॉवर में मल्टी की पार्किंग में लगा एक पिलर टूट गया था, जिससे मल्टी एक तरफ झुकने लगी।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और तत्काल नगर निगम, रेस्क्यू दलों को सूचना दी। पुलिस व रेस्क्यू दलों की मदद से तत्काल बचाव कार्य शुरू किया। लोग जिस हालत में थे उसी हालत में उनको बाहर निकाला।
इसके बाद जो पिलर टूटा था उसपर जैक लगाकर स्थिति को संभाला गया। इसके बाद लोगों को साफ चेतावनी भी दी गई, जिसमें कहा गया कि ये मल्टी अभी सुरक्षित नहीं है, इसलिए यहां कोई नहीं रह सकता। साथ ही प्रशासन ने मल्टी गोल्डन टॉवर के बाहर चेतावनी बोर्ड लगा दिया है।
सिर्फ कोर्ट ही दिला सकता है न्याय
इस मामले में एडवोकेट एमपी सिंह के मुताबिक, बिल्डर ने लोगों के साथ धोखेबाजी की है। इसमें पीड़ित परिवार उपभोक्ता फोरम में जा सकते हैं। जहां प्रूफ करना होगा कि बिल्डर ने दो प्लॉट को मिलाकर एक मल्टी बनाई थी, जबकि दोनों की अलग-अलग परमिशन है।
ऐसे में उपभोक्ता फोरम हर्जाना भरने के लिए बिल्डर को आदेश दे सकता है। इतना नहीं हाईकोर्ट में परिवाद भी लगाया जा सकता है। घटिया निर्माण भी अपराध की कैटेगरी में आता है। हाईकोर्ट बिल्डर के साथ नगर निगम को भी पार्टी बना सकता है और रिफंड या फिर नई बिल्डिंग के लिए आदेश दे सकता है।
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