ग्वालियर-चंबल में अब ‘लोकल’ दंगल, उपचुनाव के बाद नगरीय निकाय
ग्वालियर-चंबल के उपचुनाव से ज्यादा नगरीय निकाय का इलेक्शन दिलचस्प होने वाला है। तारीख भले तय नहीं हो, लेकिन इसको लेकर बीएसपी और आम आदमी पार्टी सक्रिय हो गई है। बीएसपी तो आंबेडकर की पुण्यतिथि से औपचारिक रूप से रणनीति पर काम भी शुरू करने जा रही है।
ग्वालियर-चंबल के उपचुनाव में भले बसपा का कोई भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया। लेकिन उसकी नजर लोकल बॉडीज इलेक्शन यानी नगरीय निकाय चुनाव पर है। क्योंकि उपचुनाव में मुरैना में 43 हजार और जौरा में 48 हजार से ज्यादा वोट बसपा प्रत्याशियों को मिले। इसे पार्टी समर्थकों कि अच्छी तादात मान रही है। वैसे भी उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा का कभी अच्छा जनाधार था। उधर नगरीय निकाय को लेकर आम आदमी पार्टी भी सक्रिय है।
नगरीय निकाय चुनावों की तारीख दिसंबर में घोषित हो सकती है और छह दिसंबर को डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि भी है। इस दिन सभी जिलों में बसपा की ओर से संगोष्ठियों का आयोजन किया गया है। जिसमें आंबेडकर के कामों को याद करने के साथ पार्टी की रीति, नीति और नगरीय निकाय चुनाव की भूमिका पर भी बात की जाएगी।
नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को कोई चुनौती नहीं मान रही। दोनों दलों का कहना है कि दोनों ही खुद को वोट काटने वाली पार्टी साबित करने पर तूली हुई हैं।
कुल मिलाकर नगरी निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी और बसपा के मैदान में आने से मुकाबला बेहद रोचक होगा। इन दोनों दलों के चुनावी ताल ठोकने पर जहां कांग्रेस को अपने वोट बैंक सेंध की चिंता होगी तो वहीं बीजेपी भी अपने वोट बैंक को साधने की पूरी कोशिश करेगी, फिलहाल सभी को नगरी निकाय चुनावों के बिगुल बजने का इंतजार है।