Guna Child Death Case: गुना जिले के अस्पताल से भोपाल रेफर की गई साढ़े तीन वर्ष की मासूम बच्ची की एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने से मौत हो गई। घटना के दौरान एंबुलेंस कर्मियों ने दूसरा सिलेंडर लगाया, लेकिन वह भी खाली निकला।
इसके बाद एंबुलेंस कर्मी बच्ची को ब्यावरा के सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे और वहां गेट पर उसे उतारकर स्वजन का सामान फेंककर भाग गए। अस्पताल के डॉक्टर ने जांच करते ही बच्ची को मृत घोषित कर दिया।
गुना के ग्राम पटना निवासी बृजेश कुशवाह की बच्ची हर्षिता को 5 मार्च की रात बुखार और दस्त से पीड़ित होने पर जिला अस्पताल लाया गया। गुरुवार शाम तक बच्ची ठीक थी, लेकिन फिर उसकी तबीयत बिगड़ी और शुक्रवार सुबह 6:40 बजे 108 एंबुलेंस से भोपाल रेफर किया गया। रास्ते में सुबह लगभग 8:30 बजे राजगढ़ जिले के ब्यावरा से पहले एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म हो गई।
अस्पताल के गेट पर उतारकर भागे एंबुलेंस स्टाफ
- बच्ची के दादा ओमकार सिंह कुशवाह ने बताया कि एंबुलेंस में रखा दूसरा ऑक्सीजन सिलेंडर भी खाली था।
- इसके बाद स्टाफ ने बच्ची और उसके स्वजन को ब्यावरा अस्पताल के गेट पर उतारकर चले गए।
- वे बच्ची के इलाज की फाइल भी लेकर चले गए। वहां डॉक्टर ने देखते ही बच्ची को मृत घोषित कर दिया।
- ओमकार सिंह ने आरोप लगाया कि इस दौरान उन लोगों के साथ अभद्रता की गई और कहीं शिकायत करने पर धमकी दी गई। उन्होंने बताया कि ब्यावरा में स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से ही वे लौट पाए।
प्रशासन और अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
ब्यावरा देहात थाना प्रभारी गोविंद मीणा ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू की है। वहीं, गुना के सीएमएचओ ने 108 एंबुलेंस के प्रदेश संयोजक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
एंबुलेंस स्टाफ और डॉक्टरों का बयान
एंबुलेंस स्टाफ ने कहा कि बच्ची की पल्स घट रही थी और ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था, लेकिन बच्ची के स्वजन समझ बैठे कि ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया है। ब्यावरा में भी गाड़ी 40 मिनट तक खड़ी रही।
जिला अस्पताल, गुना के सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र रघुवंशी ने कहा कि बच्ची की आंतों से अचानक रक्तस्राव हुआ था और ऑक्सीजन से इसका कोई संबंध नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मामले की पूरी जांच कराई जाएगी।
प्रशासन की कार्रवाई
गुना के कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने कहा कि सिविल सर्जन से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर किया है और प्रशासन को गंभीर कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
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