New Delhi: निजामुद्दीन स्टेशन से भोपाल के लिए दो अप्रैल को शुरू हुई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में चालक दल की तैनाती के मामले में रेलवे के दिल्ली और आगरा मंडलों के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है और रोस्टर में ड्यूटी वाले आगरा मंडल के गार्ड को ट्रेन में यात्री की तरह लौटना पड़ता है. दोनों रेलवे मंडल रोजाना ट्रेन में अपने-अपने गार्ड तैनात करते हैं. आगरा मंडल द्वारा तैनात गार्ड रोजाना ड्यूटी करने के लिए आगरा से निजामुद्दीन तक आता है लेकिन इसी ट्रेन से आम मुसाफिर की तरह वापस चला जाता है क्योंकि उसे गार्ड केबिन में घुसने नहीं दिया जाता.
ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (एआईजीसी) के संयुक्त सचिव अरुण कुमार ने बताया कि ‘‘वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तैयार रोस्टर के अनुसार एक गार्ड रोज देर रात 1:30 बजे आगरा से सदर्न एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होकर निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंचता है. वह विश्राम कक्ष में आराम करता है और अपराह्न 2:40 बजे निजामुद्दीन से चलने वाली वंदे भारत ट्रेन में ड्यूटी के लिए तैयार भी होता है.’’
आम मुसाफिर की तरह ही करता है सफर
उन्होंने कहा कि ‘‘लेकिन ट्रेन में उसे गार्ड केबिन में घुसने नहीं दिया जाता और वह इसी ट्रेन में आम यात्री की तरह लौटता है.’’ उत्तर रेलवे (एनआर) और उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के विभागीय पत्राचारों से पता चलता है कि दिल्ली और आगरा मंडलों के बीच इस समस्या की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से ट्रेन को हरी झंडी दिखाये जाने से एक दिन पहले, एक अप्रैल, 2023 को हुई थी.
उत्तर रेलवे (एनआर) के समय-सारणी विभाग ने 31 मार्च को रात 7:08 बजे सभी वरिष्ठ अधिकारियों को संदेश जारी कर सूचित किया कि ट्रेन में निजामुद्दीन से झांसी तक और झांसी से निजामुद्दीन तक एनआर के गार्ड होंगे. उसी दिन केवल आठ मिनट बाद उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के प्रमुख यात्री परिवहन प्रबंधक (सीपीटीएम) ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा कि ट्रेन में गार्ड और चालक दोनों उसके होंगे.
कुमार ने आरोप लगाया, ‘‘दिल्ली मंडल ने आगरा मंडल के चालक को ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी है लेकिन आगरा के गार्ड को अनुमति नहीं दे रहे बल्कि उन्होंने ट्रेन पर जबरन नियंत्रण कर लिया है.’’ इस बारे में जब आगरा में मंडल रेलवे प्रबंधक आनंद स्वरूप से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया.
हालांकि उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने कहा कि ‘‘मैंने दिल्ली के मंडल रेलवे प्रबंधक से इस मामले को देखने और आगरा मंडल के साथ समाधान निकालने को कहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘नियम बहुत साफ है कि जिस मंडल से ट्रेन चलनी शुरू होती है, उसका चालक दल इसे चलाएगा.
इसलिए, मुझे नहीं लगता कि इसे लेकर कोई संशय होना चाहिए.’’ ट्रेन चालकों के संगठन ‘इंडियन रेलवे लोको रनिंगमैन ऑर्गेनाइजेशन’ (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांढी ने कुमार की बात से सहमति जताते हुए कहा कि स्पष्ट नियम होने के बावजूद चालक और गार्डों के संघ नयी शुरू हुई ट्रेनों पर नियंत्रण के लिए अपने-अपने मंडल प्रमुखों पर दबाव बनाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रेलवे में मानव श्रम की बर्बादी हो रही है. मुझे लगता है कि रेलवे बोर्ड को हस्तक्षेप करना चाहिए और इस मामले को निपटाना चाहिए.’’ ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल के उत्तर मध्य रेलवे प्रकोष्ठ ने 26 अप्रैल को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर ट्रेन परिचालन पर अपना दावा किया था और कहा था कि निजामुद्दीन से झांसी की दूरी 405 किलोमीटर है, जिसमें से केवल 45 किलोमीटर दूरी ही दिल्ली मंडल में आती है.
उन्होंने कहा कि बाकी 360 किलोमीटर उत्तर मध्य रेलवे के आगरा और झांसी मंडल में आते हैं, इसलिए उन्हें ट्रेन परिचालन का अधिकार होना चाहिए. कुमार ने कहा, ‘‘उत्तर रेलवे के पास राजधानी और शताब्दी जैसी सभी प्रीमियम ट्रेनें हैं. उन्हें ट्रेन पर काम करने के ज्यादा घंटे मिलते हैं और इस तरह जल्दी पदोन्नति मिलती है. दूसरी तरफ, उत्तर मध्य रेलवे के गार्ड उपेक्षित महसूस करते हैं.’’ उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे के सभी चालकों और गार्ड के लिए समान अवसर होने चाहिए.
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