GPF vs EPF: सरकार कई बचत योजनाएं चलाती है। इसमें भविष्य निधि (PF) भी शामिल है। भविष्य निधि की तीन कैटेगिरी हैं। सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), और सामान्य भविष्य निधि (GPF)। कई लोग GPF और EPF को एक ही मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। इन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है।
केवल सरकारी कर्मचारी ही GPF में योगदान कर सकते हैं। वहीं, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी भी EPF में योगदान कर सकते हैं। GPF रिटायरमेंट के समय लंपसम राशि प्रदान करता है। वहीं, EPF तब अकाउंट तक मैच्योर होता है जब कर्मचारी 58 वर्ष का हो जाता है।
GPF में योगदान, ब्याज और रिटर्न आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के अंतर्गत कर मुक्त हैं। ईपीएफ खाते में 1.5 लाख रुपये तक का योगदान आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के अंतर्गत कर कटौती के लिए पात्र है।
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) उन कंपनियों के कर्मचारियों के लिए है जहां 20 या अधिक कर्मचारी काम करते हैं। यह योजना कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। कर्मचारी के वेतन का एक निश्चित हिस्सा EPF में जमा किया जाता है। इसके साथ ही कंपनी भी इतनी ही राशि का योगदान देती है।
हालांकि, कंपनी द्वारा किए गए कुल योगदान में से केवल 3.67% ईपीएफ में जाता है, जबकि शेष 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जमा किया जाता है। रिटायरमेंट के बाद EPF में जमा राशि कर्मचारियों को लंपसम दे दी जाती है। जबकि, पेंशन योजना के तहत जमा की गई राशि का उपयोग रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन के रूप में किया जाता है।
यह भी पढ़ें- EPFO New Rule: Emergency के समय बिना पेपर वर्क के सीधे निकाल सकते हैं PF खाते से पैसा, यह होगी प्रोसेस
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए EPF पर ब्याज दर 8.25% तय की गई है। EPF न केवल कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन जरूरतों को भी पूरा करता है। इसके साथ ही यह योजना प्रइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी एक सिक्योर सेविंग ऑप्शन है। EPF में निवेश न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह कर्मचारियों के भविष्य को आर्थिक रूप से मजबूत करने में भी मदद करता है।
सामान्य भविष्य निधि (GPF)
जीपीएफ (Public Provident Fund) एक बचत योजना है जो केवल सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है। यह न केवल एक सुरक्षित बचत विकल्प है, बल्कि यह सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय स्थिरता भी प्रदान करता है।
इसका लचीलापन इसे शिक्षा, चिकित्सा और अन्य आपात स्थितियों में अधिक उपयोगी बनाता है। इसमें कर्मचारी अपने वेतन का कम से कम 6% योगदान करते हैं और रिटायरमेंट के समय संचित धन के हकदार होते हैं। वर्तमान में GPF पर ब्याज दर 7.1% है।
सभी टेम्परेरी एवं परमानेंट सरकारी कर्मचारियों और रीएम्प्लॉयड पेंशनभोगियों (जो अंशदायी भविष्य निधि के लिए पात्र नहीं हैं) के लिए एक साल की सेवा पूरी करने के बाद GPF सदस्यता अनिवार्य है।
यह भी पढ़ें- EPFO Higher Pension: पीएफ खाताधारकों के लिए बड़ी खबर, हायर पेंशन के मामले 7 फरवरी तक निपटाने के निर्देश