नई दिल्ली। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बाल कल्याण और संरक्षण समिति से गांवों में अनाथ और बेसहारा बच्चों की पहचान करने के लिए कहा है जिन्हें मदद की जरूरत हो सकती है।
मिशन वात्सल्य योजना
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसे बच्चों को ‘मिशन वात्सल्य योजना’ के तहत गोद लेने और उनके पालन-पोषण में मदद की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘सीडब्ल्यूसी की सिफारिश और ‘स्पॉन्सरशिप एंड फोस्टर केयर अप्रूवल कमिटी’ (सीएफसीएसी) से मिली स्वीकृति के अनुसार इन बच्चों के पालन-पोषण के लिए वित्तीय मदद उपलब्ध करायी जाएगी।
बच्चों को वित्तीय मदद मुहैया कराने का किया जाएगा अनुरोध
इसके अनुसार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से पात्र बच्चों को वित्तीय मदद मुहैया कराने का अनुरोध किया जाएगा।’’ अधिकारी ने बताया कि रिश्तेदारों के साथ रह रहे बच्चों को वित्तीय मदद दी जाएगी जिससे उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य की जरूरतें पूरी की जा सकें।
यह प्रायोजकता दो प्रकार की होगी – सरकार की ओर से वित्तीय सहायता दी जाने वाली प्रायोजकता और निजी क्षेत्र की ओर से वित्तीय सहायता दी जाने वाली प्रायोजकता।
परवरिश के लिए वित्तीयदी जाएगी मदद
पालन-पोषण संबंधी व्यवस्था के मामले में परिवार का कोई रिश्तेदार बच्चे की जिम्मेदारी लेगा और उसके दत्तक माता-पिता को बच्चे की परवरिश के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही 18 वर्ष का होने पर बाल देखभाल संस्थान छोड़ने वाले बच्चों को फिर से वित्तीय मदद दी जाएगी ताकि वे मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
ऐसी मदद 18 साल से लेकर 21 साल की आयु तक दी जाएगी जिसे जरूरत के अनुसार, 23 साल की आयु तक बढ़ाया जा सकता है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
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