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MP News: सरकारी टीचर ने स्कूल को दिया ट्रेन का लुक, प्रवेश लेने वाले बच्चों की बड़ी संख्या

जिले से 40 किलोमीटर दूरी पर एक गांव पड़ता है कयामपुर यहां के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर हरीश भावसार ने एक अनोखा काम किया है।

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Agnesh Parashar
MP News: सरकारी टीचर ने स्कूल को दिया ट्रेन का लुक, प्रवेश लेने वाले बच्चों की बड़ी संख्या

मंदसौर। जिले से 40 किलोमीटर दूरी पर एक गांव पड़ता है कयामपुर यहां के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर हरीश भावसार ने एक अनोखा काम किया है। उन्होंने स्कूल को ट्रेन जैसा लुक दे दिया है। दरअसल, इस इलाके में कोई ट्रेन नहीं पहुंचती थी बच्चों ने भी कभी ट्रेन नहीं देखी और न ट्रेन की सवारी की थी।

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ये देखकर टीचर हरीश भावसार ने स्कूल को ट्रेन का लुक देने की ठानी और कुछ ही दिन में इसे पूरा कर लिया आस-पास के इलाकों में ट्रेन वाला ये स्कूल काफी पॉपुलर हो रहा है और लोग इसे देखने भी आ रहे हैं।

शिक्षक हरीश भावसार ने की पहल

दरअसल, शिक्षक हरीश भावसार ने स्कूल को ट्रेन के स्वरूप में ही विकसित का सोचा और अपने प्रस्ताव को स्कूल के प्राचार्य विक्रम शर्मा के सामने रखा इस पर प्राचार्य ने भी शिक्षक के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए उन्हें हर संभव मदद देने वादा किया।

इस पहल से स्कूल में बड़ी छात्रों की संख्या

शिक्षक हरीश भावसार की यह पहल रंग लाई है। स्कूल को ट्रेन के लुक में सवारने से यहां करीब इस साल 40 बच्चों के नए नामांकन हुए हैं। इस स्कूल में पूरे स्कूल को ट्रेन जैसे बनाने के अलावा यहां पर ट्रेन का एक इंजन भी बनाया गया है। बता दें कि केवल 2 से 3 दिनों के बीच ही इस स्कूल को नया रूप दे दिया गया है। अब बच्चें यहां पर पढ़ाई करके काफी उत्साहित महसूस कर रहे हैं।

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स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा दिविषा ने बताया कि वह कभी ट्रेन में नहीं बैठी थी अब ट्रेन में बैठकर पढ़ाई करना अच्छा लग रहा है। गांव में ट्रेन नहीं आती है हम ट्रेन जैसा ही समझ कर रोज ट्रेन में बैठकर पढ़ते हैं।

पूरे कार्य में 15 हज़ार का खर्च आया

इसी संबंध में स्कूल को ट्रेन के रूप में विकसित करने वाले शिक्षक हरीश भावसार से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि कयामपुर ग्रामीण क्षेत्र है बच्चों के कहने पर स्कूल को ट्रेन स्वरूप तैयार किया गया है। प्राचार्य विक्रम शर्मा ने सहयोग किया 2 से 3 दिन में स्कूल को ट्रेन का रूप दे दिया बच्चों ने जैसे इसे देखा वह बहुत खुश हुए और उन्हें ऐसा लगा जैसे ग्रामीण क्षेत्र से ट्रेन गुज़र रही है।

इसमें लगभग 15 हज़ार का खर्च आया है। स्कूल को ट्रेन नुमा होते देख इस बार एडमिशन भी अधिक हुए हैं सरकारी स्कूल के प्रति बच्चों के साथ उनके माता पिता की सोच में बदलाव हुआ है बच्चों को ऐसा लगता है जैसे वह ट्रेन में बैठे हैं और ट्रेन की सवारी कर रहे हैं।

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रेलवे स्टेशन की दूरी 40 किलो दूर है गांव

स्कूल के प्राचार्य विक्रम शर्मा के मुताबिक कयामपुर गांव से रेलवे स्टेशन की दूरी 40 किलोमीटर है यहां के बच्चों को ट्रेन देखना नसीब नहीं होती है शिक्षक हरीश भावसार के सहयोग से और बच्चों के विचारों को समझते हुए विद्यालय को ट्रेन का आकार दिया है।

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