हाइलाइट्स
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असम के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
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कर्मचारियों को मिलेगी 2 दिन की स्पेशल छुट्टी
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सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की घोषणा
Government Employee News: असम के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। असम सरकार ने अपने कर्मचारियों को दो दिन की स्पेशल छुट्टी देने की घोषणा की है। इस स्पेशल केजुअल लीव का इस्तेमाल कर्मचारी अपने माता-पिता या सास-ससुर के साथ समय बिताने के लिए कर सकेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ये जानकारी दी गई।
ट्विटर पर पोस्ट
असम मुख्यमंत्री कार्यालय ने X पर पोस्ट किया कि सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में असम सरकार ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को अपने माता-पिता या सास-ससुर के साथ समय बिताने के लिए 6 और 8 नवंबर 2024 को विशेष आकस्मिक अवकाश की घोषणा की है।
विशेष छुट्टी देने के पीछे मकसद है कि कर्मचारी अपने बुजुर्ग होते माता-पिता या सास-ससुर के साथ समय बिता सकें। उनका सम्मान और उनकी देखभाल की जा सके। निजी मनोरंजन के लिए कर्मचारी इन छुट्टियों को नहीं ले पाएंगे।
इन कर्मचारियों को नहीं मिलेगी छुट्टी
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कर्मचारी इन स्पेशल छुट्टियों का इस्तेमाल निजी मनोरंजन के लिए नहीं कर पाएंगे। जिन कर्मचारियों के माता-पिता या सास-ससुर नहीं हैं, उन्हें ये छुट्टियां नहीं मिलेंगी।
असम के कर्मचारियों को 5 दिन का लंबा वीकेंड
CMO ने कहा कि नवंबर के महीने में 7 नवंबर को छठ पूजा, 9 नवंबर को सेकंड सैटरडे और 10 नवंबर को रविवार की छुट्टी है। इन छुट्टी वाले दिनों के बीच 6 और 8 नवंबर की छुट्टी भी ली जा सकती है। इसके साथ ही आवश्यक सेवाओं में काम कर रहे कर्मचारी चरणबद्ध तरीके से इन छुट्टियों का फायदा उठा सकते हैं।
सीएम हिमंता ने 2021 में किया था ऐलान
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने 2021 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान सरकारी कर्मचारियों को स्पेशल छुट्टी देने का ऐलान किया था।
खास होती है छठ पूजा
छठ पूजा असम में धूमधाम के साथ की जाती है। ये एकमात्र ऐसा हिंदू त्योहार है जिसमें पुजारी या पुरोहित शामिल नहीं होते। छठ पूजा में किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती। पूजा-पाठ के लिए पुजारी-पुरोहित की जरूरत नहीं होती। इसकी खास बात है कि सिर्फ उगते सूर्य की नहीं बल्कि ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है।
कैसे होती है छठ पूजा
छठ पूजा 4 दिनों की होती है। इसमें पहले नहाय खाय होता है। फिर खरना होता है। इसके बाद सूर्य को संध्या अर्घ्य और फिर सूर्योदय अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा में महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं। स्नान और पानी में खड़े होकर प्रसाद देती हैं। भोजन पूरी तरह शाकाहारी होता है। प्रसाद बनाने में नमक, प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
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सुहाग की लंबी उम्र के लिए छठ पूजा
छठ पर्व में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए छठ मैया की पूजा-अर्चना करती हैं। छठ पर्व में पुरुष भी शामिल होते हैं, लेकिन महिलाओं की भूमिका अहम होती है। छठ पूजा के लिए बड़े पंडाल या मंदिरों की जरूरत नहीं होती। नदी में और किनारे पर पूजन होता है।