GST: वस्तु एवं सेवा कर (GST) की वसूली के लिए सरकार कारोबारियों के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिया है। तलाशी और जब्ती के दौरान GST वसूलने के लिए धमकी और जोर-जबरदस्ती का तरीका इस्तेमान नहीं किया जाए। विभाग व्यापारियों को उनकी इच्छा से GST की बकाया राशि चुकाने के लिए मनाए।
व्यापारियों पर बल प्रयोग नहीं कर सकते अधिकारी
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी भी कारोबारी को टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। टैक्स का भुगतान स्वेच्छा से होना चाहिए। अधिकारियों के पास बल प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि जीएसटी कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो अधिकारियों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल के इस्तेमाल का अधिकार देता हो। सर्वोच्च अदालत की ये पीठ जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की जांच कर रही है।
कारोबारियों को देना होगा पर्याप्त समय
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति को टैक्स देनदारी का भुगतान करने के लिए बाध्य करने की इस अधिनियम के तहत कोई शक्ति नहीं है। अपने विभाग से कहें कि भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए और किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आपको कथित आरोपी को सोचने-समझने, सलाह लेने और देनदारी पूरी करने के लिए 3-4 दिन का समय भी देना होगा। GST की बकाया राशि चुकाने का फैसल स्वैच्छिक होना चाहिए।
जबरन GST वसूली मानक नहीं
केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जीएसटी वसूली के दौरान पहले बल प्रयोग होने की आशंका को खारिज न करते हुए कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान ज्यादातर भुगतान स्वैच्छिक ही हुए हैं। उन्होंने GST अधिनियम पर चली लंबी सुनवाई में कहा कि वसूली के दोनों तरीकों की संभावना है, लेकिन ज्यादातर भुगतान स्वेच्छा से या वकील से परामर्श लेने के कुछ दिनों के बाद किए जाते हैं। हां, पहले जबरन वसूली के कुछ उदाहरण हो सकते हैं, लेकिन ये मानक नहीं है।
कारोबारियों को धमकी नहीं दे सकते, दबाव नहीं डाल सकते
कई याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों पर तलाशी और जब्ती के दौरान धमकी देने और दबाव डालने के आरोप लगाए हैं। बेंच ने कहा कि हम जानते हैं कि किसी व्यक्ति की तलाशी और जब्ती के दौरान क्या होता है। यदि टैक्स भुगतान से इनकार किया जाता है, तो आप संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं, लेकिन आपको परामर्श करने, सोचने और विचार करने के लिए कुछ समय देना होगा। आप उस पर धमकी और गिरफ्तारी का दबाव नहीं डाल सकते।
ये खबर भी पढ़ें: Fraud With Voters: भोपाल में वोटर्स को दी गई हीरे की अंगूठी निकली नकली, जानिए फिर क्या हुआ ?
कारोबारियों पर कानूनी प्रक्रिया के तहत हो कार्रवाई
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई बार कथित अपराधी टैक्स से बचने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करें, लेकिन ये सख्ती से कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। GST अधिनियम की धारा 69 के तहत गिरफ्तारी का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार को विधायिका के सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए हैं।