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छिंदवाड़ा। Gotmar Mela: एमपी के छिंदवाड़ा के पांढुर्णा में आज विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का आयोजन किया जाएगा। पत्थरबाजी के इस खेल को लेकर प्रशासन ने कमर कस ​ली है। हालांकि इस खेले में अभी तक 12 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस खेल में लोग एक-दूसरे को पत्थर मारते हैं। सुबह पांढुर्ना-सावरगांव स्थित जाम नदी के तट पर दो पक्षों के बीच एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए जाते हैं।
प्रशासन ने कसी कमर, तैयारिंया पूरी
आज छिंदवाड़ा में होने वाले इस गोटमार मेले को लेकर स्थानीय प्रशासन ने कमर कस ली है। हर साल इस खूनी मेले में सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं। जिसे लेकर जिला और स्थानीय प्रशासन ने गोटमार मेले की तैयारियों की औपचारिकता पूरी कर लीं हैं। हालांकि इस विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले के आयोजन को लेकर शहर में जमकर उत्साह का वातावरण है। इसे लेकर पांढुर्ना-सावरगांव स्थित जाम नदी के तट पर पुलिस प्रशासन बड़ी संख्या में मौजूद हैं इतना ही नहीं मेले में सुबह से ही स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक उपचार के लिए चार जगह मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। इस मेले में अब तक 12 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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ऐसे हुई थी गोटमार मेले की शुरूआत
प्रचलित धारण के अनुसार सालों पहले पांढुर्णा का लड़का साबर गांव की लड़की को प्रेम प्रसंग के चलते भगा ले गया था। जिसके बाद दोनों जैसे ही जाम नदी के पास पहुंचे, तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था। जिससे दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं। सालों पुरानी इस परंपरा अभी भी पांढुर्णा में जारी है। दूसरे लोग भी आते हैं देखने और खेलने पांढुर्णा में होने वाले इस गोटमार मेले को देखने और खेलने के लिए दूसरे शहरों से भी लोग आते है। लेकिन मुख्य रूप से इस खेल को सावरगांव और पांढुर्णा के खिलाड़ी खेलेंगे।
कुछ परिवार मानते हैं इसे काला दिन
आपको बता दे ​कुछ परिवार इस दिन को काला दिन भी मानते हैं। इनका मानना है कि गोटमार मेले के प्रति धार्मिक आस्था के सामने पत्थरों की बौछार और खूनखराबा कोई मायने नहीं रखता। शहर में कुछ परिवार गोटमार मेले को काला दिन मानते हैं।
गोफन और शराब प्रतिबंध, धारा 144 लागू
आज होने वाले इस गोटमार मेले को लेकर पुलिस और आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को मेला स्थल पर गोफन से पत्थर चलाने वाले लोगो पर नजर बनाए रखने के लिए तैनात किया है। मेले के दौरान 24 घंटे पहले जिला कलेक्टर अधिकारी बिंदुवार सख्त आदेश जारी कर धारा 144 लागू कर चुके हैं। हालांकि फिर भी गोटमार मेले में प्रतिबंध के बाद गोफन (रस्सी से पत्थर बांधकर फेंकने) वाले व्यक्ति पर ड्रोन की मदद से निगरानी की जाएगी। चिन्हित किए गए व्यक्ति पर कड़ी कार्रवाई भी करने की बात प्रशासन कर रहा है।
मानव अधिकार आयोग रखेगा नजर
हर साल इस मेले का आयोजन यहां किया जाता है। जिसमें लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। इस मेले पर मानवअधिकार की पैनी नजर होती है। इसमें घायल लोगों के इलाज व स्वास्थ्य सुविधा के लिए जगह-जगह पुलिस कर्मचारियो को तैनात किया जाता है। पुलिस, राजस्व और आबकारी विभाग की टीम अवैध शराब पर रोक लगाने अवैध शराब ठिकानों के अड्डो पर करवाई कर रहे है। जिसमें 10 मजिस्ट्रेट और 750 की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। गोटमार में घायल होने वालों खिलाड़ियों के लिए भी 4 चिकित्सा कैंप लगाए जाते हैं।
अब तक हुई मौत
1955 - महादेवराव सांबारे - सांवरगांव पेठ
1978 - देवराव सकरडे - ब्राम्हनी
1979 - लक्ष्मण तायवाड़े - शुक्रवार बाजार
1987 - कोठिराम सांबारे - जाटबा वार्ड
1989 - विठ्ठल तायवाड़े - गुरुदेवा वार्ड
1989 - योगीराज चौरे - सांवरगांव पेठ
1989 - सुधाकर हापसे - पांढुर्णा
1989 - गोपाल चन्ने - पांढुर्णा
2004 - रवि गायकी - पांढुर्णा
2005 - जनार्दन सांबारे - पांढुर्णा
2008 - गजानन घुगुस्कर - पांढुर्णा
2011 - देवानंद वघाले - पांढुर्णा
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