हाइलाइट्स
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बस्तर में गोंचा पर्व की शुरुआत
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दशहरा के बाद दूसरा बड़ा महापर्व
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615 साल से चली आ रही परंपरा
CG Goncha Festival 2024: छत्तीसगढ़ के बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व के बाद दूसरा सबसे बड़ा पर्व गोंचा पर्व मनाया जाता है। इस पर्व की शरुआत हो चुकी है।
इंद्रावती नदी के जल से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और स्वामी बलभद्र का अभिषेक कर चंदन जात्रा की रस्म पूरी की गई। 27 दिवसीय गोंचा पर्व को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह है।
27 दिनों तक इस महापर्व में कई रस्मों का आयोजन किया जाएगा।
बस्तर में 27 दिनों तक चलने वाले इस गोंचा पर्व (CG Goncha Festival 2024) की शुरुआत 22 जून से हो चुकी है। 615 साल पहले इस पर्व की शुरुआत हुई थी।
इस पर्व की पहली रस्म चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ शुरू हुई है। इस महापर्व की रस्मों के साक्षी बनने बड़ी तादाद में भक्त मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे।
पवित्र जल से कराया स्नान
दोपहर की पूजा शुरू होने के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को चंदन और पवित्र जल से स्नान कराया।
इसके बाद भगवान सालीग्राम की विधि-विधान से पूजा की गई। इसके बाद भगवान के विग्रहों को पवित्र मंडप में रखा गया।
615 साल से मनाया जा रहा पर्व
गोंचा महापर्व (CG Goncha Festival 2024) को बस्तर के 360 आरण्य ब्राह्मण समाज आयोजित करता है। 615 साल से चले आ रहे इस महापर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।
22 जून से शुरू हुए इस पर्व को 17 जुलाई तक मनाया जाएगा। जहां हर रोज कई तरह के कार्यक्रम जगन्नाथ मंदिर में आयोजित किए जाएंगे।
इस दौरान इन रस्मों को देखने और रथ यात्रा को देखने दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग बस्तर पहुंचते हैं।
चंदन जात्रा की रस्म पूरी
गोंचा महापर्व (CG Goncha Festival 2024) के साथ ही अनसर काल शुरु हो गया है। इसी के साथ ही बीते दिन इंद्रावती नदी के जल से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और स्वामी बलभद्र का अभिषेक कर चंदन जात्रा की रस्म पूरी की गई। इसके साथ ही गोंचा महापर्व की शुरुआत हुई।
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1400 ईस्वी की हैं प्रतिमा
गोंचा महापर्व (CG Goncha Festival 2024) समिति और 360 घर आरण्य ब्राह्मण समाज के लोगों की आस्था के इस पर्व के कई रंग हैं।
कहा जाता है कि बस्तर के महाराजा पुरुषोत्तम देव ने 1400 ईस्वी में जगन्नाथपुरी से तीनों भगवान की मूर्तियां लाकर यहां स्थापित की थी।
तब से यह परंपरा चली आ रही है। गोंचा पर्व का प्रमुख आकर्षण रथ परिक्रमा और तुपकी चालन है।