मंगलुरु। Goddess Mookambika : कर्नाटक में उडुपी जिले के कोल्लूर में स्थित श्री मूकाम्बिका मंदिर में पांच अक्टूबर को विजयदशमी के दिन संपन्न हुए नवरात्रि उत्सव में पड़ोसी राज्यों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। कर्नाटक और पड़ोसी राज्यों के हजारों लोगों ने चार अक्टूबर के रथोत्सव सहित नौ दिनों के उत्सव में भाग लिया। उत्सव के दौरान कोल्लूर मंदिर में सबसे ज्यादा संख्या में पड़ोसी राज्य केरल से श्रद्धालु आए थे।
केरल के लोगों का प्राचीन काल से ही देवी मूकाम्बिका के साथ अटूट संबंध रहा है। मंदिर के अधिकारी, होटल व्यवसायी और स्थानीय लोग भी इस बात की पुष्टि करते हैं। उनका मानना है कि मंदिर में साल भर आने वाले श्रद्धालुओं में लगभग 60 प्रतिशत इसी पड़ोसी राज्य से होते हैं। केरल के लोगों का इस मंदिर से विशेष लगाव का क्या कारण हो सकता है? एक देवी और दूसरे राज्य के लोगों के बीच प्रेमपूर्ण एवं मजबूत संबंध के पीछे कई मिथक और कहानियां हैं। मंदिर का संबंध आदि शंकराचार्य से है। हालांकि, मूकाम्बिका और केरलवासियों के बीच संबंध पर कई कथाएं हैं। पुराणों के मुताबिक, आदि शंकराचार्य ने मंदिर में देवी की प्रतिमा स्थापित की थी। इस मंदिर में देवी मूकाम्बिका ‘ज्योर्तिलिंग’ के रूप में हैं, जिसमें शिव और शक्ति दोनों शामिल हैं। श्री चक्र पर देवी की ‘पंचधातु’ (सोना, चांदी, तांबा, लोहा और सीसा के मिश्रण) वाली मूर्ति शंकराचार्य ने स्थापित की थी।
देवी मूकाम्बिका को यहां शक्ति, विद्या सरस्वती और महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। कोल्लूर का संबंध शंकराचार्य से है लेकिन यह मंदिर केरल के भक्तों के लिए काफी मायने रखता है। केरल के लोग अपने बच्चों की शिक्षा को बहुत महत्व देते हैं। वे उन्हें विजयदशमी के दिन या किसी अन्य दिन देवी के मंदिर में अक्षरों से पहली बार परिचय कराने के लिए यहां आते हैं। पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित इस प्राचीन मंदिर का इतिहास लगभग 1,200 साल पुराना है। मंदिर के ठीक बगल से प्रवाहित होने वाली सौपर्णिका नदी में लोग डुबकी लगाते हैं और इसके बाद पूजा-अर्चना करते हैं। इतिहास के अनुसार, यह एकमात्र मंदिर है जो देवी पार्वती को समर्पित है।
केरल के श्रद्धालुओं के बीच यह मान्यता है कि अगर इस राज्य से कम से कम एक भी व्यक्ति साल में एक बार मंदिर नहीं गया, तो देवी वहां से चली जाएंगी। मंदिर में दर्शन करने वाले 60 प्रतिशत से अधिक श्रद्धालु केरल के हैं और बाकी तमिलनाडु और कर्नाटक से हैं। मंदिर में पड़ोसी राज्य से बड़ी संख्या में राजनेता, फिल्म अभिनेता एवं अभिनेत्री और साहित्यकार आते हैं। प्रसिद्ध गायक के. जे. येसुदास सहित केरल के संगीतकार और गायक भी नियमित रूप से इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं। मलयालम फिल्म के कई लेखक अपनी पटकथा के साथ मंदिर में पूजा करने आते हैं।