भोपाल। मध्य प्रदेश में वैसे तो कई रहस्यमयी मंदिर हैं लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग में एक ऐसा मंदिर है, जहां शाम ढलने के बाद कोई भी नहीं रूकना चाहता। रात में यहां का नजारा देखकर अच्छे-अच्छों की रूह कांप जाती है। लोग इस मंदिर को भूतों वाला मंदिर भी कहते हैं। हालांकि, इसका असली नाम ‘ककनमठ मंदिर’ (Kakanmath Temple) है। मंदिर का इतिहास करीब 1 हजार साल पुराना है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कछवाह वंश के राजा ने अपनी रानी के लिए करवाया था।
अपनी बेजोड़ कला के लिए फेमस है मंदिर
रानी भगवान शंकर की बहुत बड़ी भक्त थी। इस कारण से कछवाह वंश के राजा ने एक ऐसा शिवालय बनवाया जो अपनी बेजोड़ कला से पूरे विश्व में अजूबा बन गया। इस मंदिर का निर्माण ईंट, गारा और चूना के बिना कराया गया है। निर्माण के बाद राजा ने इस शिवालय का नाम अपनी रानी के नाम पर करवाया था। वर्तमान में आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे संरक्षित घोषित किया हुआ है। इस शिवालय को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं।
खुजुराहो शैली में किया गया है मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण खजुराहो शैली में कराया गया है। हालांकि 115 फीट उंचे इस शिव मंदिर में पत्थरों को जोड़ने के लिए चूना या गारे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस कारण से मंदिर आर आकर्षक है। खंडहरनुमा हो चुके इस मंदिर के गर्भगृह में विशालकाय शिवलिंग स्थापित है। कहा जाता है इस शिवलिंग की गहराई कितनी है यह किसी को नहीं पता है।
स्थानीय लोग क्या मानते हैं
वहीं स्थानीय लोग कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण खुद भगवान शिव जी ने करवाया था। रानी ककनावती भगवान शिव की बड़ी भक्त थीं। इस कारण से भगवान ने प्रसन्न होकर भूतों को आदेश दिया था कि वे इस मंदिर का निर्माण करें, भूत इस मंदिर का निर्माण रात में कर रहे थे। लेकिन निर्माण करते-करते दिन निकल आया जिसकी वजह से वो सब मंदिर को अधूरा छोड़ कर चले गए। इस कारण से मंदिर आज भी अधूरा ही दिखता है।
चंबल के बीहड में बना है ये मंदिर
चंबल के बीहड में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है। मंदिर पर न तो कोई पुजारी है और न ही रात में यहां किसी को रूकने की इजाजत दी जाती है। पुरातत्व विभाग के कुछ गार्ड भी यहां रहते हैं जो रात होने के बद गांव में जाकर रूकते हैं। इस मंदिर के प्रति लोगों में खौफ और दहशत है। लोगों को मानना है कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो इस मंदिर की रक्षा करती है।
मंदिर को जब आप एक नजर में देखेंगे तो आपको लगेगा कि यह कभी भी गिर सकता है। लेकिन मंदिर सैकडों वर्षों से इसी तरह टिका हुआ है। मंदिर के पत्थर एक के ऊपर एक रखे हुए हैं। मंदिर में न तो कोई दरवाजा है और ना ही को खिड़की। शायद इसी कारण लोग यहां रात में नहीं रूकना चाहते होंगे।