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घड़ी वाले बाबा का चमत्कारी दरबार: उज्जैन के पास भक्तों ने चढ़ा दीं 10 हजार से ज्यादा घड़ियां, रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं

Ghadi Wale Baba: उज्जैन के पास स्थित घड़ी वाले बाबा मंदिर में भक्तों ने मन्नत पूरी होने पर 10,000 से ज्यादा घड़ियांचढ़ाईं। खेत और पेड़ भी घड़ियों से भर गए हैं, जानिए इस अनोखे मंदिर की कहानी।

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BP Shrivastava
Ghadi Wale Baba

हाइलाइट्स

  • घड़ी वाले बाबा पर मन्नत के लिए श्रद्धालु लेकर पहुंचते हैं घड़ी
  • अब तक चढ़ाई गई 10 हजार से ज्यादा घड़ियां
  • बाबा के दरबार में लगा घड़ियों का अंबार
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Ghadi Wale Baba: उज्जैन के पास स्थित घड़ी वाले बाबा मंदिर में भक्तों ने मन्नत पूरी होने पर 10,000 से ज्यादा घड़ियांचढ़ाईं। खेत और पेड़ भी घड़ियों से भर गए हैं, जानिए इस अनोखे मंदिर की कहानी।
वक्त बदलने की उम्मीद लिए हजारों श्रद्धालु मध्यप्रदेश के "घड़ी वाले बाबा" के दरबार में पहुंच रहे हैं। मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां घड़ी चढ़ाते हैं और अब स्थिति यह है कि मंदिर परिसर, पेड़ और आसपास का खेत 10,000 से ज्यादा घड़ियों से भर चुका है।

कहां है घड़ी वाले बाबा का दरबार

यह अनोखा मंदिर उन्हेल और महिदपुर के बीच, उज्जैन से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर का नाम है सगस महाराज मंदिर, जिसे लोग प्यार से घड़ी वाले बाबा का दरबार कहते हैं।

[caption id="attachment_814100" align="alignnone" width="795"]publive-image घड़ी वाले बाबा के दरबार में लगा घड़ियों का अंबार।[/caption]

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श्रद्धालु मन्नत के लिए घड़ी चढ़ाते हैं

इस मंदिर में लोग अपनी मन्नतें मांगने आते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी होती है, तो घड़ियां चढ़ाने आते हैं। पिछले दो सालों में भक्तों ने 5 हजार से ज्यादा घड़ियां मंदिर में लटका दी हैं। जब मंदिर में जगह नहीं बची, तो लोगों ने पेड़ों की डालियों पर घड़ियां बांधना शुरू कर दिया। अब तो हालात ये हैं कि मंदिर के पास घड़ियों का एक पहाड़ सा बन गया है। कहा जा रहा है कि रोजाना 70 से 100 घड़ियां मंदिर में चढ़ाई जा रही हैं।

कई प्रदेश से आते हैं श्रद्धालु

गुराड़िया सांगा गांव से लगभग 10 किमी दूर, शिप्रा नदी के पास सड़क के किनारे यह मंदिर नजर आता है। इसे घड़ी वाले बाबा का सगस महाराज मंदिर कहा जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मंदिर सिर्फ 10 साल पहले बना था। किसी को नहीं पता कि इस पेड़ के नीचे मूर्ति किसने रखी और मन्नत पूरी होने पर घड़ी किसने चढ़ाई। पिछले दो सालों में यह मंदिर इतना प्रसिद्ध हो गया कि भक्तों ने इतनी घड़ियां चढ़ा दीं कि अब मंदिर में घड़ी रखने की जगह नहीं बची।

सिगरेट और चिलम भी चढ़ाते हैं भक्त

इस मंदिर में केवल घड़ियां ही नहीं, बल्कि कुछ भक्त बाबा को सिगरेट और चिलम भी चढ़ाते हैं। लेकिन, ऐसे भक्तों की संख्या घड़ी चढ़ाने वालों के मुकाबले बहुत कम है।

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सोशल मीडिया ने बढ़ाया क्रेज

जब मंदिर में घड़ियां चढ़ाने का चलन शुरू हुआ, तो सोशल मीडिया पर रील बनाने वाले लोग भी इसमें शामिल हो गए। उनकी रील देखकर और लोग भी आकर्षित हो रहे हैं। इंदौर से बाबा के दरबार पहुंची एक महिला ने बताया कि उसने इस मंदिर को रील में देखा था। इसके बाद वह सगस महाराज के दर्शन के लिए घड़ी लेकर आई है। जब उसकी मन्नत पूरी होगी, तो वह फिर से आकर घड़ी चढ़ाएगी।

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घड़ियों को लेकर क्या कहता है वास्तुशास्त्र

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  • घर में बंद घड़ियां कभी ना रखें। इससे जीवन में ठहराव आता है।
  • घर में टूटे कांच वाली घड़ी भी नहीं रखनी चाहिए। दो विकल्प हैं- कांच बदल दें या घड़ी।
  • ऑफिस या घर में लाल, काले या नीले रंग की घड़ी की बजाय पीले, हरे या हल्के भूरे रंग की घड़ी अधिक शुभ होती है।
  • दरवाजे के ऊपर कभी घड़ी नहीं लगानी चाहिए। इसके नीचे से गुजरने वाले पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है।
  • घड़ी उत्तर या पूरब दिशा की दीवार पर लगाना शुभ है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूरब और उत्तर दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का भरपूर संचार होता है।
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