Geo Tag Mines In MP: मध्य प्रदेश में अवैध खनिज परिवहन पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने घोषणा की है कि प्रदेश में 41 एआई आधारित ई-चेकगेट स्थापित किए जाएंगे, जो अवैध परिवहन को रोकने में मदद करेंगे। इन ई-चेकगेटों पर वेरीफोकल कैमरा, आरएफआईडी लीडर और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर की सहायता से खनिज परिवहन में संलग्न वाहनों की जांच की जाएगी। सभी चेकगेट दिसंबर तक बनाने का लक्ष्य रखा है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत 4 चेकगेट शुरू
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि परियोजना को सफल बनाने के लिए अभी पायलेट प्रोजेक्ट लाया जा रहा है। जिसमें खनिज परिवहन के लिए खास रूट के 4 जगहों पर E-चेकगेट पर काम शुरू कर दिया गया है। यह कदम मध्य प्रदेश में अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए उठाया गया है, जिससे प्रदेश की समृद्ध खनिज संपदा का सही तरीके से उपयोग हो सके। इसके लिए भोपाल में एक राज्यस्तरीय कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। वहीं भोपाल और रायसेन में जिला स्तर के सेंटर भी बने हैं।
सैटेलाइट और ड्रोन परियोजना से रोकेंगे अवैध परिवहन
मध्य प्रदेश सरकार ने 7,000 खदानों के सीमांकन के बाद जियो टैगिंग की है। इसके बाद अवैध खनन करने वाली खदानों की पहचान और रोकथाम के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। स्वीकृत खदान में 3D इमेजिंग और वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के लिए सैटेलाइट और ड्रोन की मदद ली जाएगी। वहीं परिवहन के लिए ई-चेकगेट बनाए जा रहे हैं।
जिला प्रशासन को जारी हुए निर्देश
मध्य प्रदेश सरकार ने मई में अवैध खनन और परिवहन (Illegal Sand Mining) पर रोक लगाने के लिए सरकार पहले ही जिला कलेक्टरों को निर्देश दे चुकी है। इसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग सुनिश्चित करने, जिला स्तर पर मानव रहित चेकगेट बनाने, 41 स्थानों पर ई-चेकगेट व्यवस्था लागू कराने, राज्य और जिला स्तर पर कमांड सेंटर बनाए जाने, अवैध परिवहन करने वाले वाहनों पर निगरानी रखने के निर्देश थे। जिसे लागू करने के लिए 10 महीनों की समय सीमा रखी गई है।
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क्या है जियो टैग ( What is Geo Tag)
जियो टैगिंग से संपत्तियों और खदानों की सटीक स्थिति की जानकारी मिलती है, जिससे उनकी पहचान और प्रबंधन आसान होता है। यह प्रणाली संपत्तियों को अद्वितीय अक्षांश-देशांतर निर्दिष्ट करके GIS मानचित्र पर दर्शाती है। जिससे कई तरह के काम होते हैं।
फसल स्वास्थ्य निगरानी: पर्यावरणीय स्थितियों का आकलन और रोग/कीट संक्रमण को कम करने के लिए सही समय पर सलाह।
जलवायु निगरानी: वास्तविक समय में जलवायु परिस्थितियों की जानकारी।
खाद और उर्वरकों का उपयोग: खेत के भीतर के स्थानों की पहचान और उर्वरकों की आवश्यकताओं को समझना।
बाढ़ और सूखे की भविष्यवाणी: पर्यावरणीय परिस्थितियों का आकलन और भविष्य में आने वाली आपदाओं की पूर्वसूचना।
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