Gateway to hell: आपने नर्क और स्वर्ग में जाने की बातें तो जरूर सुनी होगी। लोग अक्सर ऐसा कहते है कि जो जैसा काम करता है उसे नर्क या स्वर्ग में जगह मिलती है। लेकिन क्या आप जानते है दुनिया में ‘नर्क का दरवाजे’ नाम से एक जगह काफी मशहूर है। ये जगह तुर्कमेनिस्तान में है। हालांकि चौकिए मत, यहां ‘नर्क का दरवाजे’ का मतलब किसी आध्यात्मिक कहानियों से नहीं जुड़ा है बल्कि इस जगह पर दशकों से आग धधक रही है।
बता दें कि तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में ग्रेटर नाम का गड्ढ़ा है। गड्ढे की चौड़ाई 69 मीटर और गहराई 30 मीटर है। खास बात यह है कि इस गड्ढे से दशकों से आग धधक रही है। इस गड्ढे से आग निकलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जब 1971 में सोवियत संघ के वैज्ञानिक रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार को खोज रहे थे, उस वक्त इस गड्ढ़े का पता चला था। यहां पर प्राकृतिक गैस मेथेन का भंडार मिला। लेकिन हुआ यूं कि वहां की जमीन धस गई और एक गहरा गड्ढा बन गया। चूंकि गड्ढा बनने के कारण वहां मौजूद मेथेन गैस के वायुमंडल में घुलने का खतरा था। इसक वजह से संभावित खतरे को देखते हुए वैज्ञानिकों ने गड्ढे में आग लगा दी, ताकि मेथेन गैस खत्म हो जाए और आग भी बूझ जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तभी से ये जगह ‘नर्क का दरवाजे’ नाम से मशहूर है।
टूरिस्ट प्लेस बन गया
बता दें कि शुरू में गड्ढ़े के प्रति लोगों के मन में नकारात्मक सोच थी। इसके पीछे की वजह थी धधकती आग, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, वैसे-वैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई और आज एक अच्छे टूरिस्ट प्लेस के रूप में उभर गया है। हर साल इसे देखने के लिए हजारों पर्यटक पहुंचते हैं और इसकी तस्वीरों को लेना नहीं भूलते। साल 2018 में तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने इसे ‘शाइनिंग ऑफ काराकुम’ नाम दिया था। साल 2010 में राष्ट्रपति ने इस आग को बुझाने का आदेश भी दिया था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका। वहीं एक बार फिर जनवरी 2022 में तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव (Gurbanguly Berdymukhamedov) ने इसे बुझाने का आदेश दिया था। लेकिन अभी भी बुझाया नहीं जा सका है।